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हज़ार लोगों से दोस्ती की हज़ार शिकवे गिले निभाये।
किसी ने लेकिन हमें न समझा सभी से हमने फरेब खाये।
हमारे जीवन में अब तुम्हारी जगह तो कोई नहीं है लेकिन,
दुआ में होठों से फिर ये निकला खुदा तुम्हारे दरस दिखाये।
किसी के दिल में बसे रहो तुम,हमारे दिल को मसलने वाले,
यही तकाज़ा है दोस्ती का फरेब खाकर करे दुआये।
हमारी आँखें फ़टी रही पर पलट के तुमने कभी न देखा,
अजीब उलझन है जिंदगी की न याद आये न भूल पाये।
सितम तुम्हारें कबूल थे सब सभी हसरतें चढ़ाई माथे,
तुम्हीं ने लेकिन जला दिये सब वफ़ा के आँगन बने बनाये।
हमारे हिस्से में आई शर्ते कुबूल करके मिला हमें क्या ?
ये तन्हा कमरा, उदास सड़कें ,अजीब महफ़िल ,सभी पराये।
धुंआ नज़र में भरा हुआ है वो राख दिल मे जमी हुई हुई है,
जो तुमने हमको लिखे थे दिलबर तुम्हारी खातिर वो खत जलाए।
गली से तुमको गुज़रते देखा पुकारने की उठी तमन्ना,
हमारी चौखट पे आ गए पर उसूल सारे बिना बुलाये।
ये वेदना से भरा समय और सफर में गाड़ी ठहर गई है,
मिलेगी मंजिल ये सोचते हैं उदासियों से नज़र चुराये।
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