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Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
by Saurabh Pandey
Oct 7, 2020
लबरहिया के बात का, बकरी वाली फोंsह सगर चरित्तर नासि के, छछनो कढ़ली घोंsह
कुकुर जमाती राति-दिन, भूँक बतासे भूँक भइल असामी मोट, भा, भालू मरलस फूँक !
चढ़ल कपारे आजु जे, काल्हु उहे मुकुराह चsढ़ल सूरुज देखि लs, आसिन में निखुराह
दिन-दुपहर के नरमई, राति कउड़ के बाँव गमे-गमे लागल चले, गरम साँस अब दाँव
जामल धूआँ खेत में, दूर चलल बंदूक ! जीउ जाँत चुप रहु परल, भलहीं मनवाँ हूक
****
सौरभ
(मौलिक आ अप्रकाशित)
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भोजपुरी साहित्य
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Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
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पाँच गो फरकल दोहा // --सौरभ
by Saurabh Pandey
Oct 7, 2020
लबरहिया के बात का, बकरी वाली फोंsह
सगर चरित्तर नासि के, छछनो कढ़ली घोंsह
कुकुर जमाती राति-दिन, भूँक बतासे भूँक
भइल असामी मोट, भा, भालू मरलस फूँक !
चढ़ल कपारे आजु जे, काल्हु उहे मुकुराह
चsढ़ल सूरुज देखि लs, आसिन में निखुराह
दिन-दुपहर के नरमई, राति कउड़ के बाँव
गमे-गमे लागल चले, गरम साँस अब दाँव
जामल धूआँ खेत में, दूर चलल बंदूक !
जीउ जाँत चुप रहु परल, भलहीं मनवाँ हूक
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सौरभ
(मौलिक आ अप्रकाशित)