भारतीय छंद विधान

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    कामरूप छंद // --सौरभ

    आज हम कामरूप छंद पर चर्चा करते हैं. इसे वैताल छंद के नाम से भी जाना जाता है.  यह 26 मात्राओं के चार पदों का छंद है.  दो-दो पदों पर तुकान्तता बनती है.नियमों को क्रमबद्ध किया जाय तो नियमों की सूची कुछ यों बनेगी -1. चार पदों के इस छंद में दो-दो पदों की तुकान्तता बनती है. 2. पदों की यति 9-7-10 पर होती…

    By Saurabh Pandey

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    वीर छंद या आल्हा छंद

    वीर छंद दो पदों के चार चरणों में रचा जाता है जिसमें यति १६-१५ मात्रा पर नियत होती है. छंद में विषम चरण का अंत गुरु (ऽ) या लघुलघु (।।) या लघु लघु गुरु (।।ऽ) या गुरु लघु लघु (ऽ ।।) से तथा सम चरण का अंत गुरु लघु (ऽ।) से होना अनिवार्य है. इसे आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहते हैं. कथ्य अकसर ओज भरे…

    By Saurabh Pandey

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    उल्लाला छन्द // --सौरभ

    हम दोहा के नियमों को अच्छी तरह से देख-समझ चुके हैं जोकि अर्द्धसममात्रिक छन्द है. इसके विषम चरण में 13 मात्राएँ होती हैं जबकि इसके सम चरण की कुल मात्रा 11 होती है. हम इस छन्द के विषम चरण पर ध्यान रखें. जिसके कुल शब्दों की मात्रा 13 होती है. दोहा के विषम चरण को यदि दो पदों के हिसाब से चार बार लिखा…

    By Saurabh Pandey

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    शक्ति छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ

    चार पदों तथा दो-दो पदान्तता वाले शक्ति छन्द में प्रति पद कुल अट्ठारह मात्राएँ होती हैं. छन्द परम्परा के अनुसार -१. इस छन्द में पद का प्रारम्भ लघु से होना अनिवार्य है. २. प्रत्येक पद में पहली, छठी, ग्यारहवीं तथा सोलहवीं मात्राएँ अवश्य लघु होती हैं. ३. पदान्त सगण (सलगा या ।।ऽ या ११२ या लघु-लघु-गुरु)…

    By Saurabh Pandey

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  • तोमर छंद

    तोमर छंद(परिभाषा )तोमर छंद एक मात्रिक छन्द है जिसके प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ होती हैं |  पहले और दुसरे चरण के अन्त में तुक होता है, और तीसरे और चौथे चरण के अन्त में भी तुक होता है |  इसके अंत में एक गुरु व एक लघु अनिवार्य होता है | श्रीराम चरित मानस  में तीन स्थानों पर आठ-आठ (कुल २४) तोमर…

    By Er. Ambarish Srivastava

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    हरिगीतिका छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ

    इस पाठ में हम हरिगीतिका छन्द पर चर्चा करने जा रहे हैं. यह अवश्य है कि हरिगीतिका छन्द के विधान पर पहले भी चर्चा हुई है. लेकिन प्रस्तुत आलेख का आशय विधान के मर्म को खोलना अधिक है. ताकि नव-अभ्यासकर्मी छन्द के विधान को शब्द-कल के अनुसार न केवल समझ सकें, बल्कि गुरु-लघु के प्रकरण को आत्मसात कर…

    By Saurabh Pandey

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    गीतिका छंद

    इस छंद के नाम पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. कारण कि, इसीसे मिलते-जुलते नाम का एक और छंद हरिगीतिका भी एक सुप्रसिद्ध छंद है.हम यहाँ गीतिका छंद पर चर्चा कर रहे हैं. गीतिका चार पदों का एक सम-मात्रिक छंद है. प्रति पंक्ति 26 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 14-12 अथवा 12-14 मात्राओं की यति के…

    By Saurabh Pandey

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    कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम

     कुण्डलिया एक विशिष्ट छंद है. यह वस्तुतः दो छंदों का युग्म रूप है. जिसमें पहला छंद दोहा, तो दूसरा छंद रोला होता है. यानि एक दोहा के दो पदों के बाद एक रोला के चार पद. यानि, कुण्डलिया छः पक्तियों या पदों का छंद है. दोहा और रोला के विशिष्ट नियम साझा हो चुके हैं. इसके आगे, इनके संयुक्त को प्रारूप को…

    By Saurabh Pandey

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    चौपाई : मूलभूत नियम

      प्रति चरण सोलह-सोलह मात्राओं का ऐसा छंद है जिसके कुल चार चरण होते हैं. यानि प्रत्येक चरण में सोलह मात्रायें होती हैं. चौपाई के दो चरणों को अर्द्धाली कहते हैं. यह अति प्रसिद्ध छंद है. इसका चरणांत जगण (लघु गुरु लघु यानि ।ऽ। यानि 121) या तगण (गुरु गुरु लघु यानि ऽऽ। यानि 221) से नहीं होता. यानि…

    By Saurabh Pandey

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    रोला छंद : मूलभूत नियम

     रोला छंद भी मात्रिक छंद ही है. रोला छंद के चार पद और आठ चरण होते हैं.लेकिन इसका मात्रिक विधान दोहे के विधान का करीब-करीब विपरीत होता है. यानि मात्राओं के अनुसार चरणों की कुल मात्रा 11-13 की होती है.यानि, दोहा का सम चरण रोला छंद का विषम चरण की तरह व्यवहार करता है. और उसके विन्यास और अन्य नियम…

    By Saurabh Pandey

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