बाल साहित्य

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  • सोमू का संकल्प (बाल-कथा)

    सोमू तड़के ही उठ गया था। वैसे तो वह रोज ही सूरज उगने के पहले उठ जाता था, अपने नित्यकार्य से निवृत्त होकर स्कूल जाता था। पर आज तो छुट्टी थी, और छुट्टी के दिन उसकी सुबह की दिनचर्या कुछ अलग होती थी। वह अपने दोस्तों के साथ हाथ में कुछ खाली बोरियों को लेकर निकल पड़ता था और सड़क पर चलते हुए कचरा, पन्नी,…

    By KALPANA BHATT ('रौनक़')

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  • #लावणी छन्द,पर्यायवाची शब्द याद करने का आसान उपाय

    फूल,कुसुम या पुष्प,सुमन हो,चन्दन,मलयज,मलयोद्भव।आराधन,पूजा,उपासना,कृष्ण,मुरारी,मधु,माधव।कृपा,दया,अनुग्रह,करुणा की,चाह,कामना,अभिलाषा।अम्बा,दुर्गा,देवी,मैया,सरस्वती,वाणी,भाषा।लक्ष्मी,कमला,रमा,मंगला,गणपति,शिवसुत भी आओ,आंजनेय,बजरंगबली,हनु,धन,दौलत,संपत्ति लाओ।सुरतरंगिणी,सुरसरि,गंगा,जैसे स्नेहस,घी,घृत है।न…

    By शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

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  • कुकुभ छन्द,बादल दादा-दादी जैसे

    बाल-कविताश्वेत,सुनहरे,काले बादल,आसमान पर उड़ते हैं।दादा-दादी के केशों से,मुझे दिखाई पड़ते हैं।।मन करता बादल मुट्ठी में,भरकर अपने सहलाऊँ।दादी के केशों से खेलूँ, सुख सारा ही पा जाऊँ।।रिमझिम बरसा जब करते घन,नभ पर नाच रहे मानो।दादी मेरी पूजा करके,जल छिड़काती यूँ जानो।।काली-पीली आँधी आती,झर-झर बादल रोते…

    By शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

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  • करो उजागर प्रतिभा अपनी

    प्रतिभा छुपी हुई है सबमें,करो उजागर,अथाह ज्ञान,गुण, शौर्य समाहित,तुम हो सागर।डरकर,छुपकर,बन संकोची,रहते क्यूँ हो?मन पर निर्बलता की चोटें,सहते क्यूँ हो?तिमिर चीर रवि द्योत धरा पर ले आता है।अंधकार से डरकर क्यूँ नहीं छिप जाता है?पराक्रमी राहों को सुलभ सदा कर देते,आलस प्रिय जिनको,बना बहाने ही…

    By शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

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  • अब मै नहीं चिढूंगा

    बाल कहानी*अब मैं नहीं चिढूंगा*.. डॉ सोमनाथ यादव "सोम"आज फिर कक्षा मेंसहपाठियों ने अनिल की हंसी उड़ाई,अनिल का कसूर इतना ही था कि आज वह पिकनिक पर जाने के लिए रुपए जमा नहीं कर सका और एक बार फिर जमा कर देने के लिए कहा गया,अनिल को आज बड़ा बुरा लगा,अपने पिता पर भी गुस्सा आ रहा था,वह सोच रहा था कि अगर…

    By dr. somnath yadav

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  • सदस्य टीम प्रबंधन

    चिड़िया रानी चिड़िया रानी

    चिड़िया रानी चिड़िया रानी, लगती हो तुम बड़ी सयानी।मुझको भी तो बतलाओ ना, बातें ढेरों नई-पुरानी ।सुबह-सुबह खिड़की पर आकरमुझको रोज़ जगाती हो,बातें करने जब आता हूँफुर से क्यों उड़ जाती हो?कुछ पल मेरे पास रुको ना, मुझे सुनाओ एक कहानी।चिड़िया रानी चिड़िया रानी.....अपने जैसे पंख मुझे भी चिड़िया रानी दिलवाओ…

    By Dr.Prachi Singh

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  • अनूठा जन्मदिन ( बाल कहानी )

    अनूठा जन्मदिन ***************पाखी आज बहुत खुश थी । स्कूल से आई और बैग एक ओर पटककर सीधे रसोई में जाकर चिल्लाई - " माँ ... माँ ..." " क्या हुआ , इतनी क्यों चहक रही है ? माँ ने मुस्कुराते हुए पूछा । " माँ , आज मेरी कक्षा के एक मित्र विभु का जन्मदिन है , और उसने हमारी कक्षा के सभी मित्रों को घर पर…

    By shashi bansal goyal

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  • जुगत (बाल-लघुकथा/बाल-कहानी)

    गुड्डू, गोविंद और गोपी तीनों अलग अलग कक्षाओं के थे और तीनों दोस्त भी नहीं थे। स्कूल में आज फिर वे तीनों न तो मध्यान्ह अवकाश में अपना मनपसंद गेम खेल पाये थे और न ही इस समय खेल के पीरियड में उन्हें उनकी कक्षा के साथियों ने अपने साथ किसी खेल में शामिल किया था। अचानक गुड्डू के मन में कुछ सूझा।…

    By Sheikh Shahzad Usmani

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  • आधा चाँद

    माँ एक चाँद ला दोआधा ही सही पर ला दो चाँद के संग मैं खेलूंगा गेंद बनाकर इसे खेलूंगाअपने हाथो में इसे पकडूँगा आसमान से यह बुलाता हैंमेरे दिल को यह भाता है माँ, यह चाँद मुझको ला दो आधा ही सही पर ला दो |आसमान में रहने वालातुझको यह लुभाने वाला बेटा यह चाँद कैसे ला दूँ आसमान से कैसे ला दूँ मेरी बात मान…

    By kalpana bhatt

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  • चुन्नी की बाजीजान (बाल-कविता)

    कबूतर बाजी आ गईंबालकनी पर बैठ गईं।लू-लपटें चल रहींआसरा वो ढूंढ रहीं।कबूतर बाजी अंदर आईंफ्लैट पूरा जब घूम आईं।मिला न कोई अड्डा मन कापंखों से था ख़तरा तन का।कौने में दुबक कर बैठ गईंजैसे-तैसे प्राण बचा पाईं।चुन्नी ने पंखे ऑफ़ कियेकबूतरनी के फोटो लिये।सेल्फ़ी भी ख़ूब ली गईंखाना-पानी ही भूल गईं।रात जब होने…

    By Sheikh Shahzad Usmani

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