आपने व्यक्तिगत मेसेज/कोमेंट में रचना सम्बन्धी तथ्य प्रस्तुत किये हैं आदरणीय आभार.
वस्तुतः दोहे के कई रूप होते हैं लेकिन अभी २३ प्रकार मान्य हैं. उनमें भी वह रूप सर्वमान्य है जिसके कारण इस छंद का पूर्ण प्रभाव बना रहे और यह छंद स्वीकार्य मानक सुरों और गेयता के अनुसार प्रस्तुत हो सके. इस हेतु कतिपय विन्दु हैं जिनका एक रचनाकार के तौर पर साधा जाना आवश्यक है. दोहा की मात्रिकता एक बात है और चरणों तथा पदों का शाब्दिक संयोजन नितांत दूसरी बात. आपने दोहा छंद में संभव शब्द-संयोजन को मान तो दिया लेकिन मात्रिकता के मूल को बिसरा बैठे. साथ ही, अपने प्रस्तुत शब्द संयोजन को भी गड्डमड्ड कर दिया. इसी कारण, आदरणीय, मैंने आपको सूचित किया था.
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी सादर अभिवादन, यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम (जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है | हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका गणेश जी "बागी" संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक ओपन बुक्स ऑनलाइन
श्रद्धेय श्रीगोपालजी ,
आपकी हिंदी साहित्य मेंप्रसंशनीय अभिरुचि रही है |आपको सम्मानित कर यह मंच भी गौरवान्वित अनुभव कर रहा होगा | आप ऐसे ही सरस्वती उपासना में लग्न रहें और हमें आपके रचना प्रसाद इस मंच से मिलते रहे| अनेक बधाईयाँ |
आदरणीय श्री गोपाल सर सादर नमन एवं महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर आपको बहुत बहुत बधाई आपका आशीर्वाद मिला कृतज्ञ हूँ आप समान सक्रिय एवं वरिष्ठ जनों से सीखने को मिलता रहे यही प्रार्थना है
आदरणीय गोपाल सर ..महीने का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें..आपकी यह सक्रियता सतत बनी रहे और हम को आपसे सतत मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती रहे ...इन्हें शब्द्दों के साथ ...सादर प्रणाम करते हुए
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, सादर अभिवादन ! मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "अर्थ गौरव की ऊर्जा है शब्द शक्ति" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे | आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित आपका गणेश जी "बागी संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक ओपन बुक्स ऑनलाइन
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी माह की सर्वश्रेष्ठ रचना से सम्मानित किये जाने पर मेरी ओर से हार्दिक हार्दिक बधाईयाँ। भविष्य के लिए हमारी शुभकामनाएं भी स्वीकार करें।
आदरणीय गोपाल नारायण जी बहुत बहुत धन्यवाद रचना का अवलोकन करने के लिए एवं अपने सुझावों से अवगत करने के लिए। समर्पण में हारने जीतने का कोई ख्याल ही नहीं आता सच तो ये है। मेरा कहने का मतलब है नारी वाही महान होती है जो हर परिस्थितियों को सहज स्वीकार कर स्वयं भी उसके अनुकूल हो जाये उसे भीकोई शिकवा शिकायत न हो। आज हर बात पे नारियों का भी अहम सर उठा कर बोल रहा है। कुछ तो प्राकृतिक देन जो है उसे स्वीकार करने में कोई छोटापन बड़ापन नहीं होता मेरी समझ से। मै तो हर हाल में संतोष से सुख से जीना और जीने देना चाहती हूँ। वैसे आपकी भावनाओं को सादर प्रणाम।
आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी "रीतिरात्माकाव्यस्य" ऐसे शोधपूर्ण लेखन के लिये साधुवाद वैदर्भी,गौडी एवम् पांचाली रीति को हिन्दी काव्य से मथकर निकालने के लिये आपके श्रम और विद्वता का ऋणी हूँ / आशा है काव्य जगत की अगली पीढ़ी भी इससे लाभान्वित होगी / विशेष कर "कंकण किंकिणि नूपुर ध्वनि सुनि ..........में वैदर्भी रीति का विहंगावलोकन "देखि ज्वाल जाल दशकंध सुनि ......हाँकि हाँकि हुनै हनुमान हैं" में गौडी रीति का दिग्दर्शन / "मानव जीवन वेदी पर ......खेल आँख का मन का " में पांचाली रीति का अन्वेषण बहुत अच्छा लगा /
बहुत बहुत आभार .....आपका चाचाजी ..सादर नमस्ते स्वाविकार कर हमे अनुग्रहित करें बस ज्यादातर लोगो ने कहा पढ़ना चाहिए कुछ सिखने के लिय उसी ओर अग्रसर है ...जिसके कारण अनजाने में ही सही ...इस पुरस्कार के पात्र बन गये ...:)
आदरणीय निवेदन है मुझे गीत विधा के बारे में समझाने का कष्ट करें ! क्या गजल की तरह ही गीत भी किसी मान्य बहर पर लिखना आवश्यक है! या खुद की बनाई बहर पर भी गीत लिख सकते है!
आदरणीय गीत समझाने के लिए सादर धन्यवाद!
आदरणीय एक सवाल और है ! क्या गीत में अन्तरे की पुरक पंक्ति जिसका तुकान्त टेक के तुकान्त के समान होता है! क्या हम उस पंक्ति को न लिख कर अन्तरे के अन्त में केवल टेक ही लगा सकते है या नहीं ! क्यूं कि मैने कुछ गीतो में ऐसा देखा है! पता नहीं वे गीत ही है या कोई अोर विधा ! क्रपया बताए सादर
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ह्रदय से आभार आपने मेरी रचना को माह की श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर अपनी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित किया इसी तरह आशीर्वाद की आकाक्षी हूँ आपकी प्रतिक्रिया मेरा प्रोत्साहन है सादर साभार
आदरणीय यहाँ हम सभी एक दुसरे से ही सीखते हैं आपकी बातों का समाधान करने का प्रयास करुँगी ,न० (१ )---शैली और वैली में मात्राओं की गड़बड़ थी सिर्फ आपने छोटी ई की मात्रा लगाईं थी ...गेयता साधने के लिए ऐसा समझौता मान्य नहीं होता.
न० (२ ) अंग्रेजो ने किया वात-आवरण कसैला------ रोले के इस विषम चरण --अंग्रेजो ने किया --में किया =१२ जब की विषम चरण का अंत २१ अर्थात गुरु लघु से होता है जैसे की आपने अन्य पदों में ठीक किया है जैसे --कहते है गोपाल ==इसमें चरण का अंत पाल २१ गुरु लघु से ठीक हो रहा है
न० (३ ) प्रारंभ का शब्द व् अंतिम शब्द एक सा करके देखिये आप खुद फ़र्क महसूस करेंगे कुण्डलिया का सौन्दर्य दुगुना हो जाएगा ---इसके अपवाद तो मिलते ही रहते हैं छूट तो लेते ही रहते हैं वो अलग बात है ,नाम के अनुसार कुण्डलिया तभी सार्थक होती है जब सर्प का फन व् पूंछ मिली हो अर्थात दोनों शब्द एक से हों ,आदरणीय जो कुछ मेरा अल्प ज्ञान था वो आपसे साझा किया |शुरू में मुझसे आपसे भी ज्यादा गलतियाँ हुई हैं |
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आपका स्नेह और आशीर्वाद पाकर अभिभूत हो जाता हूँ. आप लोगो के मार्गदर्शन से ही रचनाकर्म को बल मिलता है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ. नमन
आ. डॉ गोपाल नारायण जी ,,,कविता के इस मंच पर ,,अपना मित्र बनाकर आपने मुझे पुरस्कार दिया ,,आपका हार्दिक आभार और आशा है ,यूँ ही हम छोटों को आशीष देते रहेंगे |
आ. गोपाल नारायन सर, ये घटना मेरे सामने की है(मेरे परम मित्र के साथ घटी हुई) इसीलिए मैंने इस पर लिखने का प्रयास किया है. एक प्रयास थी इस संवेदनशील मुद्दे पर लिखने की, काफ़ी कमियाँ रह गई हैं. सुधरा हुआ रूप निकट भविष्य में पुनः आप सभी श्रेष्ठ एवं गुणीजनों के समक्ष प्रस्तुत करूँगा. कहानी पर समय देकर मार्गदर्शन के लिए आपको कोटिशः धन्यवाद. आपके द्वारा इंगित किए गए बिन्दुओं पर काम करके यह कहानी पुनः पोस्ट करूँगा.
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आपका सादर आभार आदरणीय .. . आप रचनाओं पर हुई टिप्पणियों पर अपनी प्रतिक्रियाएँ वहीम्र्चनाओं दे दिया करें
सादर
Nov 13, 2013
बृजेश नीरज
मेरे कहे को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार!
Nov 14, 2013
वेदिका
आपका हार्दिक आभार आदरणीय!
Nov 19, 2013
CHANDRA SHEKHAR PANDEY
मित्रता अनुरोध स्वीकारने के लिए हार्दिक आभार माननीय।
Nov 19, 2013
Shyam Narain Verma
बहुत बहुत धन्यवाद जी , आपका हार्दिक आभार |
Nov 22, 2013
बृजेश नीरज
आदरणीय गोपाल जी, आपका हार्दिक आभार! आपका आशीष मेरे लिए बहुत आवश्यक है! 'परों को..' आप मुझसे या आदरणीय शरदिंदु जी से ले सकते हैं.
आपने नीरज मुझे नहीं कहा अच्छा ही है! वैसे नीरज मेरी पत्नी का भी नाम है! :)))))
आपके सतत स्नेह और आशीष का आकांक्षी हूँ!
सादर!
Nov 27, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आपने व्यक्तिगत मेसेज/कोमेंट में रचना सम्बन्धी तथ्य प्रस्तुत किये हैं आदरणीय आभार.
वस्तुतः दोहे के कई रूप होते हैं लेकिन अभी २३ प्रकार मान्य हैं. उनमें भी वह रूप सर्वमान्य है जिसके कारण इस छंद का पूर्ण प्रभाव बना रहे और यह छंद स्वीकार्य मानक सुरों और गेयता के अनुसार प्रस्तुत हो सके. इस हेतु कतिपय विन्दु हैं जिनका एक रचनाकार के तौर पर साधा जाना आवश्यक है. दोहा की मात्रिकता एक बात है और चरणों तथा पदों का शाब्दिक संयोजन नितांत दूसरी बात. आपने दोहा छंद में संभव शब्द-संयोजन को मान तो दिया लेकिन मात्रिकता के मूल को बिसरा बैठे. साथ ही, अपने प्रस्तुत शब्द संयोजन को भी गड्डमड्ड कर दिया. इसी कारण, आदरणीय, मैंने आपको सूचित किया था.
इस मंच पर हम सभी समवेत सीख रहे हैं.
सादर
Dec 2, 2013
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम (जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
Dec 5, 2013
विजय मिश्र
आपकी हिंदी साहित्य मेंप्रसंशनीय अभिरुचि रही है |आपको सम्मानित कर यह मंच भी गौरवान्वित अनुभव कर रहा होगा | आप ऐसे ही सरस्वती उपासना में लग्न रहें और हमें आपके रचना प्रसाद इस मंच से मिलते रहे| अनेक बधाईयाँ |
Dec 5, 2013
Nilesh Shevgaonkar
mअहिने के सक्रीय सदस्य चुने जाने पर आप को ढेरों बधाइयाँ ...
Dec 5, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आदरणीय गोपाल नारायणजी, आप उस घोषणा की जगह ही मिली प्रतिक्रियाओं पर अपने धन्यवाद साझा करें. विगत माह का सक्रियतम सस्य चयनित होने पर पुनः बधाई.
शुभ-शुभ
Dec 5, 2013
Sushil Sarna
aadrneey Gopal Narain jee aapko vigat maah ke skriy sadasy ke roop men chynit hone ke uplaksh men haardik badhaaee
Dec 6, 2013
vandana
आदरणीय श्री गोपाल सर सादर नमन एवं महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर आपको बहुत बहुत बधाई आपका आशीर्वाद मिला कृतज्ञ हूँ आप समान सक्रिय एवं वरिष्ठ जनों से सीखने को मिलता रहे यही प्रार्थना है
Dec 9, 2013
Dr Ashutosh Mishra
आदरणीय गोपाल सर ..महीने का सक्रीय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें..आपकी यह सक्रियता सतत बनी रहे और हम को आपसे सतत मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती रहे ...इन्हें शब्द्दों के साथ ...सादर प्रणाम करते हुए
Dec 10, 2013
Dr Ashutosh Mishra
आदरणीय सर ये तो मेरा सौभाग्य है की आपने मुझे स्नेह देते हुए मेरी मित्रता स्वीकार की ..बस यूं ही सतत स्नेह बनाएं रखें सादर
Dec 11, 2013
NEERAJ KHARE
Dec 17, 2013
NEERAJ KHARE
Dec 20, 2013
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
आदरणीय डा. गोपाल भाई ,
हार्दिक धन्यवाद , आभार और आपके पूरे परिवार के लिए मंगलमय नव वर्ष की शुभकामनायें ॥
Jan 7, 2014
Alka Gupta
सबसे पहले आपका हार्दिक आभार मेरी रचना हेतु प्रेरक शब्दों के लिए .......
एवं आपका लेखन बहुत ही प्रभावी सुन्दर एवं भाव पूर्ण लगा ....सादर वन्दे
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी
Jan 21, 2014
Shyam Narain Verma
pranaam jee
bahut dinon ke baad aapka remark aa raha hai .
saadar
May 21, 2014
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "अर्थ गौरव की ऊर्जा है शब्द शक्ति" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
Jun 10, 2014
Sushil Sarna
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी माह की सर्वश्रेष्ठ रचना से सम्मानित किये जाने पर मेरी ओर से हार्दिक हार्दिक बधाईयाँ। भविष्य के लिए हमारी शुभकामनाएं भी स्वीकार करें।
Jun 11, 2014
Dr Ashutosh Mishra
आदरणीय गोपाल सर..आपकी रचना महीने की सर्वश्रेस्ट रचना चुनी गयी है इस के लिए मेरी तरफ से कोत्सः बधाई सादर प्रणाम के साथ
Jun 12, 2014
जितेन्द्र पस्टारिया
आपने मुझे मित्र योग्य समझा, यह मेरा सौभाग्य है आदरणीय डा.गोपाल जी
सादर!
Jun 30, 2014
mrs manjari pandey
Jul 20, 2014
पं. प्रेम नारायण दीक्षित "प्रेम"
आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी "रीतिरात्माकाव्यस्य" ऐसे शोधपूर्ण लेखन के लिये साधुवाद वैदर्भी,गौडी एवम् पांचाली रीति को हिन्दी काव्य से मथकर निकालने के लिये आपके श्रम और विद्वता का ऋणी हूँ / आशा है काव्य जगत की अगली पीढ़ी भी इससे लाभान्वित होगी / विशेष कर "कंकण किंकिणि नूपुर ध्वनि सुनि ..........में वैदर्भी रीति का विहंगावलोकन "देखि ज्वाल जाल दशकंध सुनि ......हाँकि हाँकि हुनै हनुमान हैं" में गौडी रीति का दिग्दर्शन / "मानव जीवन वेदी पर ......खेल आँख का मन का " में पांचाली रीति का अन्वेषण बहुत अच्छा लगा /
पँ.प्रेम नारायाण दीक्षित "प्रेम"
Jul 30, 2014
Dr. Vijai Shanker
Regards .
Vijai
Aug 10, 2014
Santlal Karun
आदरणीय डॉ. श्रीवास्तव जी,
'महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना' पर आप ने खुशी ज़ाहिर की, हार्दिक धन्यवाद !
Aug 10, 2014
Dr.Vijay Prakash Sharma
आग्रह स्वीकारने के लिए बहुत आभार माननीय .
Sep 21, 2014
savitamishra
बहुत बहुत आभार .....आपका चाचाजी ..सादर नमस्ते स्वाविकार कर हमे अनुग्रहित करें
बस ज्यादातर लोगो ने कहा पढ़ना चाहिए कुछ सिखने के लिय उसी ओर अग्रसर है ...जिसके कारण अनजाने में ही सही ...इस पुरस्कार के पात्र बन गये ...:)
Sep 24, 2014
khursheed khairadi
आदरणीय गोपालनारायण साहब
सादर प्रणाम |
आपने सदैव मेरा उत्साहवर्धन किया है ,आपके स्नेह की छाँव मुझ पर सदा बनी रहे|
सादर आभार |
Oct 16, 2014
Sushil Sarna
आपको सपरिवार ज्योति पर्व की हार्दिक एवं मंगलमय शुभकामनाएं...
Oct 23, 2014
Hari Prakash Dubey
Nov 7, 2014
Rahul Dangi Panchal
Nov 7, 2014
Rahul Dangi Panchal
Nov 7, 2014
Rahul Dangi Panchal
आदरणीय एक सवाल और है ! क्या गीत में अन्तरे की पुरक पंक्ति जिसका तुकान्त टेक के तुकान्त के समान होता है! क्या हम उस पंक्ति को न लिख कर अन्तरे के अन्त में केवल टेक ही लगा सकते है या नहीं ! क्यूं कि मैने कुछ गीतो में ऐसा देखा है! पता नहीं वे गीत ही है या कोई अोर विधा ! क्रपया बताए सादर
Nov 8, 2014
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
जन्म दिन पर आपकी शुभ कामनाएं पाकर मै धन्य हुआ |आपका हार्दिक आभार आद डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी | प्रभु आपसी सद्भाव बनाए रखे | सादर
Nov 20, 2014
seemahari sharma
Nov 21, 2014
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
महनीया
आपसे सदा सीखता रहता हूँ i इसी जिज्ञासा में आपकी निम्न टिप्पणी पर भी अपनी शंका का निवारण चाहूँगा i
शैलि ,वैलि में गच्चा खा गए आदरणीय :))) और पकडे भी गए ...... स्वीकार है आदरणीया
अंग्रेजो ने किया वात-आवरण कसैला----रोले में विषम इसे कुछ और स्पष्ट करें महनीया
चरण का गुरु लघु से होना है आपका किया =लघु गुरु
कुण्डलिया का आरम्भ का शब्द और अंत का शब्द भी एक ही होना मेरे संज्ञान में अब यह बाध्यता अब
चाहिए समाप्त हो गयी है
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आदरणीय यहाँ हम सभी एक दुसरे से ही सीखते हैं आपकी बातों का समाधान करने का प्रयास करुँगी ,न० (१ )---शैली और वैली में मात्राओं की गड़बड़ थी सिर्फ आपने छोटी ई की मात्रा लगाईं थी ...गेयता साधने के लिए ऐसा समझौता मान्य नहीं होता.
न० (२ ) अंग्रेजो ने किया वात-आवरण कसैला------ रोले के इस विषम चरण --अंग्रेजो ने किया --में किया =१२ जब की विषम चरण का अंत २१ अर्थात गुरु लघु से होता है जैसे की आपने अन्य पदों में ठीक किया है जैसे --कहते है गोपाल ==इसमें चरण का अंत पाल २१ गुरु लघु से ठीक हो रहा है
न० (३ ) प्रारंभ का शब्द व् अंतिम शब्द एक सा करके देखिये आप खुद फ़र्क महसूस करेंगे कुण्डलिया का सौन्दर्य दुगुना हो जाएगा ---इसके अपवाद तो मिलते ही रहते हैं छूट तो लेते ही रहते हैं वो अलग बात है ,नाम के अनुसार कुण्डलिया तभी सार्थक होती है जब सर्प का फन व् पूंछ मिली हो अर्थात दोनों शब्द एक से हों ,आदरणीय जो कुछ मेरा अल्प ज्ञान था वो आपसे साझा किया |शुरू में मुझसे आपसे भी ज्यादा गलतियाँ हुई हैं |
Dec 15, 2014
vijay nikore
शुभकामनाओं के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय गोपाल नारायन जी।
Dec 22, 2014
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आपका स्नेह और आशीर्वाद पाकर अभिभूत हो जाता हूँ. आप लोगो के मार्गदर्शन से ही रचनाकर्म को बल मिलता है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ. नमन
Jan 17, 2015
maharshi tripathi
आ. डॉ गोपाल नारायण जी ,,,कविता के इस मंच पर ,,अपना मित्र बनाकर आपने मुझे पुरस्कार दिया ,,आपका हार्दिक आभार और आशा है ,यूँ ही हम छोटों को आशीष देते रहेंगे |
Feb 28, 2015
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
बहुत बहुत आभार! आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर! स्नेह बनाये रक्खे!
Apr 16, 2015
Manan Kumar singh
'
यही है कविता का मर्म
नियम नहीं, धर्म नहीं
बस केवल कर्म'.....आदरणीय गोपाल भाईजी, बहुत बढ़िया, कविता कर्म प्रधान हो यह लक्ष्य होना चाहिए, सादर।
Jun 5, 2015
kanta roy
Jul 19, 2015
Prashant Priyadarshi
आ. गोपाल नारायन सर, ये घटना मेरे सामने की है(मेरे परम मित्र के साथ घटी हुई) इसीलिए मैंने इस पर लिखने का प्रयास किया है. एक प्रयास थी इस संवेदनशील मुद्दे पर लिखने की, काफ़ी कमियाँ रह गई हैं. सुधरा हुआ रूप निकट भविष्य में पुनः आप सभी श्रेष्ठ एवं गुणीजनों के समक्ष प्रस्तुत करूँगा. कहानी पर समय देकर मार्गदर्शन के लिए आपको कोटिशः धन्यवाद. आपके द्वारा इंगित किए गए बिन्दुओं पर काम करके यह कहानी पुनः पोस्ट करूँगा.
Aug 1, 2015
Harash Mahajan
आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी कृतज्ञ हूँ सर !!
Aug 6, 2015
gaurav bhargava
वह अगले साल आएगा - इस वाक्य में कौन सा कारक है?
1) कर्म कारक
2) अपादान कारक
3) अधिकरण कारक
4) सम्बन्ध कारक
Sep 23, 2015
Sushil Sarna
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
Jan 3, 2016
Sulabh Agnihotri
स्वागत है आदरणीय !
Jun 27, 2016