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योगराज प्रभाकर's Discussions (10,561)

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"भई मिरासी सुत जो होता, रोता भी तो सुर में रोता जो छंदों की काया माया, ओबीओ से है सब…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"जो कहना हो पहले तोलो, तोल मोल कर ही कुछ बोलो  जाने दिल्ली और दोआबा, "बेबी" को भी कहत…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"तुम सबके पोतों के पोते - काहे इंतना व्याकुल होतेअब जो चुप ना बैठे भाऊ, चाचा से कर दू…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"शायद कल थी ठोकी देशी, तभी बहकते फिरें गणेशी मेरे परदादा के भाई,  इनको लाज तनिक नहि आ…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"छन्न पकैया छन्न पकैया, कहें बात ना मन्दीदिल को भा जाती शन्नो की, बाल सुलभ तुकबंदी "

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"माना हूँ मामूली "छंदी" । करता नहीं निरी तुकबंदी झूठ कहा या बोला साचा । करो फैसला बाग…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"पंजाबी में "तीतर होना" । मतलब जिसका "चलते होना"ठूँस खिसकना जिनकी आदत । उनकी खातिर बन…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"शुभ शुभ बाहर उभचुभ भीतर। छकी जबेली हो गए तीतर सौरभ जी यह ना इन्साफ़ी। तीनो लोक नहीं ह…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 4, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"काहे करते हो हो-हल्ला ! योगी कहता है ये लल्ला अपनी खातिर यही मिठाई। बागी ने ठोकी चौप…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 3, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"भोजपुरिन की बात निराली। खुद तो खाते भर भर थाली योगी मांगे जभे जलेबी ! बागी सौरभ भएँ…"

योगराज प्रभाकर replied Dec 3, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

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DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया प्रतिभा जी ,सादर नमस्कार। छंद अच्छा है। बधाई"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"बेटी के ब्याह और पिता की चिंता पर आपने गहन सृजन किया है..हार्दिक बधाई..वैसे बेटियाँ और उनके पिता अब…"
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