1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Reply Deleted
This reply has been deleted. Return to the discussion.
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
दोहा पंचक. . . शृंगार
देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)
आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
दोहा दशम्. . . निर्वाण
देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम
कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
दोहा पंचक. . . . .दीपावली
साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
दोहा पंचक. . . . .इसरार
शोक-संदेश (कविता)
ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
दोहा दशम्. . . . . गुरु
लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
Latest Activity
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181