प्यारे बच्चों, सुनो कहानी................
एक बार की बात है. किसी जंगल का राजा एक शेर था.
दिन बीतते गए. जानवरों का गुस्सा बढ़ता गया. उन्होंने संगठन बनाने की सोची. रामू हाथी उन्हें संगठित भी करने लगा.
बच्चों तुम तो जानते ही हो- एकता में कितनी ताकत है. कैसे ढेर सारी चींटियाँ मिलकर चीनी के बड़े दाने उठा ले जाती हैं और एक-एक करके लकड़ी तोड़ी जा सकती है लेकिन १०-२० लकड़ियों के गठ्ठर को तोड़ना मुश्किल है. यह बात धीरे-धीरे सभी जीवों को समझ में आने लगी.
लेकिन इन बातों की खबर लगते ही शेर चौकन्ना हो गया. पहले उसने जानवरों को रंग, धर्म, जाति, लिंग और क्षेत्र के आधार पर लड़वाया था. इस बार उसकी इनमें से कोई तरकीब न चली. अबकी उसने अपने जिगरी दोस्त सियार को काम पर लगा दिया.
सियार ने शेर के खिलाफ अनशन शुरू किया.
मामले में बहुत पेंच फंसे. कोई कहता सियार धूर्त है, चाल चल रहा है. तो कोई कहता कि सियार का ह्रदय परिवर्तन हो गया है. माना वह शेर के साथ था, लेकिन अब वह बदल गया है. कोई उलझन में सर पीटकर बैठ जाता.
सियार का अनशन जारी था. लोगों में बहस चल रही थी कि सियार के अनशन की असली मांग क्या है? उन जानवरों में कोई ऐसा नहीं था जो धैर्य से छानबीन करे, सबूत जुटाए और मामले कि तह में जाए. सभी मेहनत से बचते थे, सभी कामचोर थे. दूसरों की सुनी-सुनाई बातों पर कान देते थे. कान के बड़े कच्चे थे. लोगों की इन्हीं कमजोरी का फायदा सियार को मिल रहा था.
इतने पर भी लोगों को पता नहीं था कि सियार करना क्या चाह रहा है. वह शेर के खिलाफ भी है. लेकिन वह कहता है कि मैं शेर के आतंक से लोगो को बचाऊंगा. शेर को सभ्य बनाऊंगा. उसे समझाऊंगा कि अनावश्यक जीवों को मारना ठीक नहीं है. हर रोज एक जीव तुम्हारे पास जाएगा, उसे मार कर खा लेना. तुम्हें मेहनत करने की भी जरूरत नहीं.
कुछ लोग सियार की इस योजना से सहमत नहीं थे. वे शेर से पूरी तरह मुक्ति चाहते थे. उनका नारा था क्रान्ति, पूरी मुक्ति, हिंसा से पूरी तरह छुटकारा. लेकिन इसके लिए वे करे क्या वे नहीं जानते थे. ज्यों ज्यों सियार का अनशन बढ़ता जाता, शेर के प्रति लोगों का गुस्सा बढ़ता जाता, सियार की चालबाजियां भी धीरे-धीरे लोगों ने समझनी शुरू कर दी.
लोग तो यह कहते पाए गये-बाप रे ऐसा अहिंसात्मक आन्दोलन सियार ही कर सकता है क्योंकि वह शेर का पुराना दोस्त है. अन्यथा हमारी-तुम्हारी औकात ही क्या? हम तो शेर के सामने जाते ही उसका निवाला बन जायेंगे.
सियार कि भूख कहिये, या लोगों की बढ़ती जागरूकता, या शेर कि चालाकी. भूख हड़ताल ख़त्म हो गयी. हिरन के ताजा गोस्त के साथ शेर ने सियार का अनशन तुडवाया. जीत शेर की हुई या सियार की या सभी जानवरों की?
चारों तरफ गीत गाये जा रहे थे.....
हमारी भी जय जय,
तुम्हारी भी जय जय,
न तुम हारे न हम हारे.
कानून बना दिया गया कि महाराजा शेर के पास एक-एक करके जानवर अपनी बारी आने पर रोज जायेंगे. शेर उन्हें मारकर आराम से खायेगा. इससे शेर के गुस्से का शिकार दूसरे जानवर नहीं बनेंगे. कहानी ख़त्म हो गयी. ऐसा सोचना एक गलती होगी.
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