..........बालगीत ...........
उछल पड़े जब बंदर मामा
भौचक्का हैं अपने नाना
देख के भागी बूढ़ी ताई
दांत निपोरे और ले अंगड़ाई
बंटी डॉगी भागा आया
कहाँ गई बच्चों की आया
बिल्ली मौसी दूर से बोली
कैसे आई बंदर की टोली
पिंकू ने जब पोशाक चुराई
छिड़ गई तब घोर लड़ाई
माली काका पानी लाया
गमलों को फिर भर आया
कोयल बुलबुल डाली आई
मीठी बोली सबको भाई
हथिनी संग में बच्चे लाई
पागल हो गई क्यूटी पाई
मोर बिचारा छत पे आया
मैं मटके में पानी भर आया
बरसों की जब प्यास बुझाई
घटों पंख फैलाके नाचा भाई
डाली डाली से फल लाया
गीत मिज़ाजी उसने गाया
गुड्डी बेबी ने किया इशारा
कदली फल उसने दे मारा
इतने में राजाजी प्रकट हुए
गुस्से में व्याकुल विकट हुए
फिर नरमाई से बोले भाई
हम सब भी करें सफाई
चिंटू चाचा कैमरा लाया
फोटू खीचने दौड़ा आया
देख बन्दर ने मुंह चढ़ाया
भालू ने आगे हाथ बढ़ाया
@आनंद ११/११/२०१४ "मौलिक व अप्रकाशित"
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सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ । |
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