पचपन मे बचपन----- पचपन मे बचपन का ख्याल आता है, मेरा दिल मचल मचल जाता है| चाहता है खेलना,आँख मिचोली, दौड़ने भागने को मन ललचाता है| खाते थे खाना माँ के हाथ से, चूल्हे की रोटी को मन तरसाता है| जब चाहा सो गए ममता की छांव मे, माँ का आँचल बहुत याद आता है| देर रात बैठे रहते थे दादी की गोद मे, कहानी सुनाने वाला नज़र नहीं आता है| सारी ही बस्ती कभी अपनी हवेली थी, बात कराने वाला आज कोई नहीं पाता है| रिश्ते थे सबसे ताऊ,चाचा,बुआ के, अंकल आंटी मे प्यार नहीं आता है| लगी चोट पाँव मे खून जब बहने लगा, दुपट्टे का फाड़ना बहन,अब मुझे भाता है| पचपन मे बचपन का जब ख्याल आता है, बचपन मे लौटने को दिल भरमाता है| डॉ अ कीर्तिवर्धन 9911323732
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