For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक 2 में आइल सभ रचना एके जगह

ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक 2, दिनांक 29 मई 2013 से 31 मई 2013 तक चलल, एह प्रतियोगिता में आइल कुल रचना, रचनाकार के नाव के साथे प्रस्तुत बा ...

 

श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
1.
भोजपुरी भासा  अपने देसवा की भासा
काहे सरमावल काहे होवल हा निरासा
सुरजवा  घर से ईहा पायेला अरुणीया
समझेला पढ़ेला बोलेला  आधी दुनिया
भोजपुरी रिश्ते मा लागल हिंदी की बहना
भारत माता की यही  श्रंगारिक गहना 
गावा लिखा प्रेम से बोला हइ मधुर वानी
देर न अब  कोई इसे राज भाषा सब मानी 

2.
सुन्दर  देसवा  बसल  नर नारी
जनमहि  उहाँ  मिथिलेश कुमारी
वीर भूमि बहे वीर रस  धारा
क्रांति लौ  मंगल पांडे बारा
सुगम सुघर मधु रस सम बानी
बोलहि जन  भोजपुरी जानी
देस  विदेस जँह जँह  रह  लोगा
मीठी  मधुर  बानी  सुख  भोगा
गंगा  जमुना  विलुप्त सरस्वती
भोजपुरी मान को  तरसती
कर्तव्य बा हमनी  सब का ख़ासा
गूँजल  सन्देस बनले  राज भासा

3.
घमसा मा तपला शरीरिया
ठंडाय भोजपुरी बयरिया
रतिया जगल दिना म सोयली ...२
मुरगवा बोले चढ़ अटरिया
सास बिगड़ली नन्दा बिगड़ली .....२
काहिल बड़ी हमरी बहुरिया
पीड़ा हमरी काह न समझलि .....२
परदेस गइले सांवरिया
चंदा निकसे सुरजा डुबले  .......२
तारा चुभे मोरी नजरिया
छोड़ आइल बाबुल अंगना ..२
छोडिबे न तोहरे चरनिया
दिना रतिया ताना ह सुनली ...२
मिश्री सी भोजपुरी गुजरिया
******************************************************

श्री बृजेश नीरज
1.
इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई
अब पछुआ बयार रउरा लइ गयल बहाई

बदल वेश भूषा भइया इतरा के डोलल
जइसे देसी कुतिया मराठी बोल बोलल
रउरा तौ आपन माटी अब गयल भुलाई
इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

अंगरेजी में कहेला अब बाई टाटा
बचुआ अब फैशन मा, बाप का कहे पापा
काहे लजाला भइया बोले म तू माई
इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

काहे लजाला बोले में अपन भाखा
सुगंध से माटी के महकल बा ई भाखा
ई भोजपुरी त बा पहिचान आपन भाई
इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

2.
भुला दिहला काहे इ माटी इ बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

महुआ मकई क विदेस मा डिमांड बा
बजरा कै रोटी अबहूं सोंधात बा
फिनु काहे भरे तू पिज्जा से झोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

बचपन बीतल जोने देस जवार मा
ई भाषा त भइया ओकर परान बा
कइसे भुलाला तू ई पुरबी बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

मिश्री से मीठ बा आपन भोजपुरी
ठंडी फुहार जइसन अपन भोजपुरी
काहे बिसार दिहला इ पुरबी बोली
काहे नीक लागे परदेसी बोली

******************************************************
श्री जवाहर लाल सिंह

बहे लागल पूरबी बयार, बदरा, काहे रुसल जालअ !

आवा तानी झांकअ एने, खेती सुखल जाला 
रिमझिम बरसअ किसान गरमाला
किसनी करे तोहरा पुकार, जरा तू थम जालअ  !

मकई के बाल का तोरा न नीक लागे
बजरा, जुआर मडुआ भी मुस्काले
करतानी तोहरा गोहार, थोड़ा तो सुस्ता लअ !  

नदी अउर पोखरा पुकारे तोहरा के
आदमी जनावर पुकारे तोहरा के
दे दअ तनी ठंढी फुहार, काहे तू घबरालअ  !

******************************************************

 

Views: 1177

Replies to This Discussion

एडमिन साहब को ढेरों आभार कि उन्होंने इस प्रतियोगिता  में आई प्रविष्टियों का संकलन प्रस्तुत किया। 

संकलन हेतु सादर आभार 

महोदय जी 

aage kaa intjaar 

milega puruskar 

jivn men pahli baar 

jaese ho pahla pyar 

abhar abhar abhar 

हम सबका ई बतिया समझाइये कि अपनी व्यवस्था मा ईनाम दिये  मा इतना सोचेला . भोजपुरी राष्ट्र भाषा मा देरी खातिर सरकार का काहे कोसला .

हाहाहाह................
वाह आदरणीय प्रदीप जी की जय हो!
हमार नेता कइसा हो
ई बुढ़उ बाबा जइसा हो!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
4 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service