For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anita Rashmi
Share on Facebook MySpace
 

Anita Rashmi's Page

Latest Activity

Anita Rashmi posted a blog post

विश्वास

आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए। बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट पर भेजा था। उनके जाने के बाद घर उसका, वह घर की होकर रह गई थी। फौजी की बेहद कर्मठ ब्याहता उसकी बाँसुरी को हर समय साथ रखती। बाँसुरी दोनों के बीच एक डोर की तरह थी। "इसे कभी न छोड़ना। जहाँ भी रहूँगा, मैं तेरा रहूँगा। और तू मेरी। है न? रहेगी न?""चल तू।" "मैं नहीं जा सकती।…See More
Jan 31, 2022
Anita Rashmi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"लघुकथा विश्वास --------- आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए। बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट…"
Jan 31, 2022
Anita Rashmi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"हार्दिक धन्यवाद। सही कि डॉक्टर से मरीज भय नहीं खाते। पर इस रचना में व्यंग्य ध्वनि को पकड़ें। अंत में पिता ऊपर देखते हुए जो कहता है, उसे देखें ( ऊपर देखना याने ईश के करीब चिकित्सक को मानना। )"
Dec 30, 2021
Anita Rashmi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"चिकित्सा ------------ " डाॅ. साहब! मेरा बेटा अब आपके हवाले है तो जैसा आप उचित समझें, करें।" "आपको भय नहीं लगेगा?" "किस बात का?" "हम आपके बेटे का ट्रिटमेंट ठीक से नहीं करेंगे?" "नहीं, एकदम…"
Dec 30, 2021
Anita Rashmi is now a member of Open Books Online
Nov 29, 2021

Profile Information

Gender
Female
City State
Ranchi
Native Place
Ranchi
Profession
Writer

Anita Rashmi's Blog

विश्वास

आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए।

बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट पर भेजा था।

उनके जाने के बाद घर उसका, वह घर की होकर रह गई थी।

फौजी की बेहद कर्मठ ब्याहता उसकी बाँसुरी को हर समय साथ रखती। बाँसुरी दोनों के बीच एक डोर की तरह थी।

"इसे कभी न छोड़ना। जहाँ भी रहूँगा, मैं तेरा रहूँगा। और तू मेरी। है न? रहेगी न?"

"चल…

Continue

Posted on January 31, 2022 at 7:00pm

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:36am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service