For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

NEERAJ KHARE
Share on Facebook MySpace

NEERAJ KHARE's Friends

  • Akhand Gahmari
  • Bipul Sijapati

NEERAJ KHARE's Groups

 

NEERAJ KHARE's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
LUCKNOW UTTAR PRADESH
Native Place
LUCKNOW
Profession
UP GOVT. SERVICE
About me
WRITE , READ...ARTICLE & POETRY

NEERAJ KHARE's Blog

अभिलाषा (व्यंग्य कविता)

चाह नही मेरी कि मैं ,अफसर बन सब पर गुर्राउं।
चाह नही मेरी कि मैं ,सत्ता में दुलराया जाऊं।।
लाल बत्ती की खातिर मैं ,अपनों का न गला दबाऊं।
गरीब जनों की सेवा करके ,आशीर्वाद उन्हीं का पाऊं।।
बड़े हमेशा बड़े रहेंगे ,छोटों को भी बड़ा बनाऊँ।
हर एक बच्चा बने साक्छर ,रोजगार के अवसर लाऊँ।।
मिटे गरीबी आये खुशहाली ,ऐसी मैं एक पौध लगाऊँ।।

.
(नीरज खरे)
मौलिक एवम् अप्रकाशित

Posted on June 6, 2016 at 7:30am — 3 Comments

कविता (माँ)

हे माँ तेरे चरणों की मैं धूल कहाँ से लाऊंगा,

रग रग में तू बसी हुई मैं भूल कहाँ से पाऊंगा।



तिनका तिनका बड़ा हुआ मैं ममता की इन छाँव में,

बात बात पर मुझे सिखाती किताब कहाँ से लाऊंगा।।



सबसे लड़ती मेरी खातिर गली मोहल्ले गांव में,

अब सब बन गए मेरे दुश्मन कैसे मैं बच पाउँगा



याद है एक दिन तूने मुझको यही पाठ सिखलाया था,

भाव सरल और मधुर वचन का सच्चा पाठ पढ़ाया था।।



दीन दुःखी की सेवा कर फिर जग में नाम कमाया था,

बनकर तेरे जैसा मैं अब कुछ…

Continue

Posted on May 31, 2016 at 9:00am — 5 Comments

जाम रे (व्यंग कविता)

शहर के इस जाम में

पत्नी को बाइक पे टांग के

मैं जा रहा था काम से

तभी अचानक एक विक्रेता

बोला सीना तान के

छांट बीनकर माल खरीदो

बेंचू मैं कम दाम में

मैंने बोला भीड़ बहुत है

फिर आऊंगा आराम से

बोला दीदी कितनी सुंदर

उनके कुछ अरमान रे

तुम तो भइया बहुत काइयां

लगते कुछ शैतान रे

पहले बोलो क्यूं हो खोले

शॉप बीच मैदान में

हंसकर बोला खाकी वर्दी

साथ निभाए शान से

गाउन, मैक्सी,पर्स खरीदो

करते क्यूं परेशान रे

तभी…

Continue

Posted on May 23, 2016 at 3:30pm — 5 Comments

दबी आवाज़ (लघु कथा)

हमेशा खुशमिजाज रहने वाली माँ को आज गंभीर मुद्रा में देखकर मैनें कारण जानना चाहा तो वो बोली- बेटा तुम भाइयों में सबसे बड़े हो इसलिय तुमसे एक बात करना चाहती हूँ| हाँ-हाँ बोलो माँ मैनें उत्सुकता पूर्वक जानना चाहा|माँ ने दबी आवाज़ में कहना प्रारंभ किया-बेटा तुम्हारा अपना मकान लखनऊ में और बीच वाले का वाराणसी मे बना गया है किंतु तुम्हारा तीसरा भाई जो सबसे छोटा है उसका न तो अपना मकान है और न वो बनवा पायगा कियोंकि वो कम किढ़ा लिखा होंने के कारण अछी नौकरी न पा सका|तो क्या हुआ माँ ये आप और बाबूजी का…

Continue

Posted on January 26, 2014 at 8:30pm — 12 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service