For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश के अग्रणी ग़ज़लकार ज़हीर कुरेशी की तीसरी पुण्यतिथि दिनांक 20 अप्रैल 2024 को दुष्यंन्त कुमार संग्रहालय भोपाल में साहित्यिक संस्था ओपन बुक्स ऑनलाइन (ओबीओ भोपाल इकाई) ने उनको याद किया और "ज़हीर की तहरीर" कार्यक्रम के साथ साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन अशोक निर्मल की अध्यक्षता, फरीदाबाद से आये वरिष्ठ साहित्यकार हरे राम समीप के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। नवाचार करते हुए मंच संचालक बलराम धाकड़ ने ज़हीर के शे'रों के साथ ही साहित्यकारों को मंच पर आमंत्रित किया। हरे राम समीप ने कहा कि "ज़हीर कुरेशी जैसे दिखते थे उससे कहीं ज़्यादा विराट थे, ज़हीर की तहरीर जनवादी है"।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए महावीर सिंह ने सुनाया, 

"न जाने कितनी सदियों से ही मरते आ रहे हैं हम,

जो ढंग से मर गए होते तो फिर मरने नहीं आते।।

शशि बंसल ने लघुकथा ' लिंगभेद' सुनाई। सीमा सुशी ने सुन्दर दोहे सुनाये

"कभी दिखाई धूप तो, कभी मिलाया प्यार,

मां थी तो बिगड़े नहीं, रिश्ते और अचार।"

मनीष बादल ने शे'र को बहुत तालियाँ मिलीं,

"वो जो सूरज चन्दा का इक टुकड़ा लेकर बैठे हैं,

वो ही लोभी अँधियारे का दुखड़ा लेकर बैठे हैं "।

मिथिलेश वामनकर का दोहा बहुत सराहा गया,

"सर्च किया सब कुछ यहां, जोड़ा उसके बाद,

अब तो लेखक हो गए गूगल की औलाद।

युवा गीतकार पंकज पराग ने सुनाया,

"उंगलियाँ तो उठीं गैर पर ही सदा,

हमने अंतर कलश निज का छाना नहीं"।

किशन तिवारी ने सुनाया,

"हारता ही रहा हूँ मैं ख़ुद से,

ज़िन्दगी का हुनर नहीं आया"।

आबिद काज़मी ने सुनाया,

"उसने अपने गाँव के साये सारे अपने नाम किये,

उसको अब ये कब परवाह है, किसने कितनी खाई धूप"।

प्रेम चंद गुप्ता की ग़ज़ल बहुत पसन्द की गयी

"सुना है चाँद पर पानी मिला है,

नया नुख्सा सुलेमानी मिला है।

युवा शायर चित्रांश ने सुनाया,

"तुम सलीके से लड़े होते फतह हो जाती,

हार के आ गये किस्मत का बहाना लेकर"

वहीं दूसरे युवा शायर गौरव गर्वित ने सुनाया,

मेरे हाथों की रेखाएँ मुक़द्दर हो नहीं सकती,

मेरी किस्मत लिखी जाएगी अब पैरों के छालों से

वहीं प्रमिला झड़बड़े ने सुनाया,

"जागते मन की प्रबलता, साधना स्वीकार हो।

अनमने से स्वप्न सारे,आज ही साकार हो।।"

सीमा हरि शर्मा की ग़ज़ल याद रक्खे ये ज़माना वो कहानी चाहिए, देखना है अस्र तो कहने के मानी चाहिए को बहुत वाहवाही मिली। हरि वल्लभ शर्मा ने सुनाया

"शान से सर को उठा जीने की आदत रखिए,

अपनी दस्तार भी हर तौर सलामत रखिए।

चरणजीत सिंह कुकरेजा ने सुनाया,

"तितली तितली खूब थे खेले,

नही उन दिनों थे झमेले,

सुख के पीछे दिखा काफिला,

दुख में हम रहे अकेले।

अशोक व्यग्र की ग़ज़ल ने ध्यान खींचा,

"मुस्कुराये बैठे हैं,

ग़म छुपाये बैठे हैं।"

आ. दिनेश भदौरिया जी ने सुनाया,

"तुम्हें याद कर बीते पल के

सुख दुःख दुहराए।"

आ. हरे राम समीप जी द्वारा सम्पादित ग़ज़ल संग्रह "हिन्दी ग़ज़ल कोश" जिसमें अमीर खुसरो से लेकर 2010 तक के शायरों की ग़ज़लें शामिल है, का लोकार्पण भी हुआ और उन्होंने ये किताब दुष्यंत संग्रहालय की सचिव आ. करुणा राजुरकर जी को भेंट की।

आ. हरिराम समीप जी ने ग़ज़ल सुनाई, 

"जानते हो इस व्यस्था को तपेदिक रोग है

और हाक़िम दे रहा है दर्द नाशक गोलियाँ"।

मध्य प्रदेश लेखक सँघ के अध्यक्ष आ.राम वल्लभ आचार्य ने सुनाया "ढ़ोल धमाके बजे, चल पड़ी गली गली बारातें,

होने लगीं सभाएँ, आयी कुर्सी और कनाते"।

आ.  सीमा हरि शर्मा में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम अपनी ऊंचाई पर जाकर समाप्त हुआ।

Views: 42

Reply to This

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service