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Vivek Shrivastava
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Male
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Mumbai
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Bhopal
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Finance Professionals
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Tammana e falk naa aarzoo e urge hai, tinka hoon beh rahaa is gumaa se, dunga kabhi kisi doobte ko sahaara

Vivek Shrivastava's Blog

"आशा"

रोज़ ढलते सूरज के साथ,

जन्म लेने लगती कुछ बूँदें 

रोज़ सुबह उठ, उन बूँदों को भी मै पाता हूँ,

पर खो जाती,वो चढ़ते सूरज के साथ....

तब पूछता मै खुद से....

सूरज ही तो था इनका जनक, फिर...फिर

क्यों कर मिटा दी उसने अपनी ही उत्त्पत्ति?

सोचते-सोचते उभर आती फिर कुछ बूंदे

पर होती नहीं वो ओंस....

और इस तरह ....ढलने लगता ...एक और सूरज

और जन्म लेने लगती फिर कुछ…

Continue

Posted on February 6, 2013 at 11:00am — 16 Comments

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