Added by Bhupender singh ranawat on March 29, 2020 at 10:15am — 1 Comment
Added by Bhupender singh ranawat on March 26, 2020 at 7:48pm — 1 Comment
Added by Bhupender singh ranawat on March 25, 2020 at 2:11pm — 1 Comment
मुद्दत से इंतजार में बैठे थे हम जिनके ,
वो आये भी तो अजनबियों कि तरहां।
के तोड़ गये अरमानो के घरोंदों को वो ऐसे,
उजाड़ देती है खिज़ा गुलशन को जिस तरहां।
बेहाल दिल हे और रूह भी हमारी ,
बहता है दर्द जिस्म में अब ऐसे
जैसे मचलता हे पानी दरिया में जिस तरहां।
के अश्क़ अब बहते नहीं इन आँखों से,
बस आहें ही निकलती हे अब सांसो से ।
ज़िन्दगी हमारी अब हो गई हे कुछ ऐसे,
जैसे खाती हे नाव हिलोरे तूफां में जिस तरहां।
अब ना…
ContinueAdded by Bhupender singh ranawat on January 12, 2020 at 11:28am — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |