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शुभारंभ है नए साल का//नवगीत//कल्पना रामानी

फिर से नई कोपलें फूटीं,

खिला  गाँव का बूढ़ा  बरगद।

शुभारंभ है नए साल का,

सोच, सोच है मन में गदगद।

 

आज सामने, घर की मलिका

को उसने मुस्काते देखा।

बंद खिड़कियाँ खुलीं अचानक,

चुग्गा पाकर पाखी चहका।

 

खिसियाकर चुपचाप हो गया,

कोहरा जाने कहाँ नदारद।

  

खबर सुनी है,फिर अपनों के

उस  देहरी पर कदम पड़ेंगे।

नन्हीं सी मुस्कानों के भी,

कोने कोने बोल घुलेंगे।

 

स्वागत करने डटे हुए हैं,

धूल झाड़कर चौकी मसनद।

 

लहकेगी तुलसी चौरे पर,

चौबारे चौपाल जमेगी।

नरम हाथ की गरम रोटियाँ,

बहुरानी सबको परसेगी।

 

पिघल-पिघल कर बह निकलेगा

दो जोड़ी नयनों से पारद।

बरगद के मन द्वंद्व छिड़ा है,

कैसे हल हो यह समीकरण।

रिश्तों का हर नए साल में,

हो जाता है बस नवीकरण।

 

अपने चाहे दुनिया छोड़ें,

नहीं छूटता पर ऊँचा पद।

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना रामाँनी

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on December 25, 2013 at 7:59pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by कल्पना रामानी on December 25, 2013 at 2:22pm

आदरणीय अर्ण अनंत जी आपने गीत की सर्वाधिक मार्मिक पंक्तियों की गहराई को छूआ है। जिन्हें लिखते हुए सचमुच आँखें गीली हो गई थी।

आपका हृदय से आभार

Comment by कल्पना रामानी on December 25, 2013 at 2:20pm

आदरणीय ब्रह्मचारी जी, सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on December 25, 2013 at 2:19pm

आदरणीया कुंती जी, मनोबल बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 25, 2013 at 12:51pm

वाह वाह आदरणीया हृदयस्पर्शी नवगीत रचा है आपने सभी के सभी बंद बहुत ही खूबसूरत बने हैं बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

पिघल-पिघल कर बह निकलेगा

दो जोड़ी नयनों से पारद। ... खासकर इस पंक्ति के विशेषतौर से बधाई स्वीकारें. वाह लाजवाब

Comment by S. C. Brahmachari on December 24, 2013 at 10:47pm

फिर से नई कोपलें फूटीं .... शुभारम्भ है नए साल का .......उत्तम भाव , उत्तम प्रस्तुति ... बधाई, आ0 बहन कल्पना रामानी जी !

 

Comment by coontee mukerji on December 24, 2013 at 10:37pm

फिर से नई कोपलें फूटीं,

झूम रहा आँगन का बरगद।

शुभारंभ है नए साल का,

सोच, सोच है मन में गदगद।.......आपको नये साल की शुभकामनाएँ सहित.सादर

Comment by कल्पना रामानी on December 24, 2013 at 8:28pm

अन्नपूर्णा जी, आपकी स्नेह भरी टिप्पणी से मन अति हर्षित हुआ। आपका हृदय से धन्यवाद

सादर

Comment by annapurna bajpai on December 24, 2013 at 6:34pm

आदरणीया कल्पना दी क्या कहूँ ,  निःशब्द हूँ , आपकी लेखनी को नमन । आपके सानिध्य मे हम सबको कुछ सीखने को मिलता  रहे । इस नव वर्ष मे यही कामना है । आपको बहुत बधाई दीदी । 

Comment by कल्पना रामानी on December 24, 2013 at 1:16pm

सादर धन्यवाद आदरणीय गिरिराज जी

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