For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


हरिगीतिका
(1)
मधु छंद सुनकर छंद गुनकर, ही हमें कुछ बोध है,
सब वर्ण-मात्रा गेयता हित, ही बने यह शोध है, 
अब छंद कहना है कठिन क्यों, मित्र क्या अवरोध है,
रसधार छंदों की बहा दें, यह मेरा अनुरोध है ||


(2)
यह आधुनिक परिवेश इसमें, हम सभी पर भार है,
यह भार भी भारी नहीं जब, संस्कृति आधार  है,
सुरभित सुमन सब है खिले अब, आपसे मनुहार है, 
निज नेह के दीपक जलायें, ज्योंति का त्यौहार है ||


(3)
सहना पड़े सुख दुःख कभी मत, भूलिए उस पाप को,
यह जिन्दगी है कीमती अब, छोडिये संताप को,
अभिमान को भी त्यागिये तब, मापिये निज ताप को,    
तब तो कसौटी पर कसें हम, आज अपने आप को||

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 19, 2011 at 12:28pm

धन्यवाद आदरणीया मोहिनी जी ! आपका हार्दिक आभार !

Comment by mohinichordia on October 6, 2011 at 8:08pm

हरीगीतिका  छंदों की ख़ूबसूरती बढ़ गई .सीधे- सादे शब्दों के प्रयोग से |

Comment by mohinichordia on October 6, 2011 at 8:05pm

अनुरोध,त्यौहार ,कसौटी तीनों शब्दों का बहुत ही खूबसूरत प्रयोग किया है आपने अम्बरीश श्रीवास्तव जी |बधाई 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 4:37pm

आदरणीया लता जी!  सराहना के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Lata R.Ojha on October 2, 2011 at 3:09pm

बहुत ही सुन्दर ..प्रेरक रचना :)

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 9:42am

स्वागत है भाई वीनस जी! तीनों छंदों को सराहने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद! :-))))

Comment by वीनस केसरी on October 2, 2011 at 1:54am

अब छंद कहना है कठिन क्यों, मित्र क्या अवरोध है,
रसधार छंदों की बहा दें, यह मेरा अनुरोध है ||

वाह, ऐसा सुमधुर, सुन्दर अनुरोध कौन टाल सकता है ...

तीनो छंद खूब पसंद आये
बधाई हो |

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 1:02am

स्वागत है भाई आशीष जी ! हरिगीतिका की सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ! भाई बागी जी का सुझाव अनुकरणीय है ! :-)

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 12:54am

धन्यवाद भाई बागी जी ! "भारतीय छंद विधान" ग्रुप का निर्माण अवश्य किया जाय ! नेक काम में देरी क्यों ? :-)

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 12:52am

स्वागत है भाई बृज भूषण जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service