For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उद्येश्य बदल गया-
भावों की पहरन
शब्द का
परिमाण बदल गया,
साहित्य,दर्पण समाज का
धुंधला हो गया।
प्रतिद्वंदी
तलवार का,कलम
लोकेष्णा का दास बन गया।
बाढ़ है, तो बारिश भी है
आऽज,भावेश का
बहाव बदल गया।
साहित्य का...
उद्येश्य बदल गया।
परिवेश बदल गया।।
-विन्दु
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on May 24, 2013 at 12:40pm
आदरणीय निकोर सर सादर अभिनन्दन!
क्षमा करें महोदय बहुत विलम्ब के बाद आपकी प्रतिक्रिया तक पहुंच सकी.
वास्तविकता यही है आदरणीय रचना का उद्भव गहन सोंच के बाद ही हुआ है।कदाचित् मेरे सम्प्रेषण में कमी रह है।
सादर
Comment by vijay nikore on April 29, 2013 at 7:04pm

बहुत सोचने को दिया है आपकी रचना ने।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:45pm
आदरणीय विजय मिश्र जी सादर प्रणाम्।
आपने रचना के तल को छुआ और कथ्य का अनुमोदन किया,इसके लिए हृदयातल से आभार आपका।
सादर
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:40pm
जी बिल्कुलआदरणीय रक्ताले सर।परिवर्तन के दो पहलू अवश्य होते है-नकारात्मक और सकारात्मक।वर्तमान में मुझे कईबार ये अनुभव हुआ कि समाज के कल्याण से पहले रचनाकार अपनी लोकप्रियता/पाठक की रुचि पहले सोचता है।भले ही रुचि में कोई सार्थकता न हो।
आपने रचना का अवलोकन किया बड़ा अच्छा लगा।
सादर आभार
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:39pm
आदरणीय आशीष जी आपका बहुत शुक्रिया।
सादर
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:38pm
परम् आदरणीय सौरभ महोदय आपने रचना का मर्म समझा,इसके लिए आपका हृदयातल से बहुत आभार।
सादर
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:38pm
परम् आदरणीय सौरभ महोदय आपने रचना का मर्म समझा,इसके लिए आपका हृदयातल से बहुत आभार।
सादर
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:35pm
आदरेया कंती जी आपसे सहमत हं।आपने अनुमोदन किया रचना सार्थक हुई।
सादर
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:34pm
आपको भी मेरा हार्दिक धन्यवाद आदरणीय केवलप्रसाद जी।
Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:33pm
आदरणीय कुशवाहा सर सादर नमस्कार।
सही कहा आपने 'खड़े खड़े बांसुरी बजाते रहे...'
आपकी अनोखी प्रतिक्रया पाकर मन प्रसन्न हुआ।स्नेह बनाए रखें महोदय।
आपका सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
4 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
19 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service