For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आचार्य विनोबा भावे

संत विनोबा भावे का वास्‍तविक नाम था विनायक नरहरि भावे। उनकी समस्‍त जिंदगी साधु संयासियों जैसी रही, इसी कारणवश वह एक संत के तौर पर प्रख्‍यात हुए। वह एक अत्‍यंत विद्वान एवं विचारशील व्‍यक्तित्‍व वाले शख्‍स थे। महात्‍मा गॉंधी के परम शिष्‍य जंग ए आजा़दी के इस योद्धा ने वेद, वेदांत, गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल आदि अनेक धार्मिक ग्रंथों का उन्‍होने गहन गंभीर अध्‍ययन मनन किया। अर्थशास्‍त्र, राजनीति और दर्शन के आधुनिक सिद्धांतों का भी विनोबा भावे ने गहन अवलोकन चिंतन किया। गया। जेल में ही विनोबा ने 46 वर्ष की आयु में अरबी और फारसी भाषा का अध्‍ययन आरम्‍भ किया और कुरान पढना भी शुरू किया। अत्‍यंत कुशाग्र बुद्धि के विनोबा जल्‍द ही हाफि़ज़ ए कुरान बन गए। मराठी, संस्‍कृत, हिंदी, गुजराती, बंगला, अंग्रेजी, फ्रेंच भाषाओं में तो वह पहले ही पारंगत हो चुके थे। विभिन्‍न भाषाओं के तकरीबन पचास हजार पद्य विनोबा को बाकायदा कंठस्‍थ थे। समस्‍त अर्जित ज्ञान को अपनी जिंदगी में लागू करने का भी उन्‍होने अप्रतिम एवं अथ‍क प्रयास किया। महात्‍मा गॉंधी ने उनकी असल शक्ति को पहचाना। विनायक हरि भावे से प्रथम बार मिलने के पश्‍चात बापू ने कहा कि तुम्‍हारे प्रेम, ज्ञान और चारित्र्य की ताकत ने मुझे मोहित कर लिया है। तुम निश्चित तौर पर महान् कार्य का निमित्‍त बनोगे। ईश्‍वर तुम्‍हें दिर्घायु करे और तुम हिंद की आज़ादी और प्रगति के लिए अपना जीवन अर्पित कर दो। दीनबंधु एंड्रयूज को महात्‍मा गॉंधी ने एक खत में लिखा था कि लोग आश्रम में कुछ ना कुछ पाने के लिए आते हैं, किंतु विनोबा तो आश्रम को अपने पुण्‍यों के प्रताप से सिंचित करने आया है। आश्रम के दुर्लभ रतनों में वह एक है। विनोबा का जन्‍म महाराष्‍ट्र के कोंकड़ इलाके के गागोद गॉव में 11 सितंबर 1895 को हुआ। पिता नरहरि भावे ने नवजात शिशु का नाम रखा विनायक। घर का वातावरण भक्तिभाव से ओतप्रोत था। बाल्‍यपन से ही वैरागी बनने का विचार दृढ़ होने लगा। विनोबा की मां रखुबाई के निर्देशन में बालक विनायक का उपनिषद, गीता, रामायण, और महान् मराठी संतों के धर्मग्रंथों का पठन पाठन चलता ही रहता था। विनायक की बुद्धि अत्‍यंत प्रखर थी। गणित उसका सबसे प्‍यारा विषय बन गया। हाई स्‍कूल परीक्षा में गणित में सर्वोच्‍च अंक प्राप्‍त किए। बडौ़दा में ग्रेजुएशन करने के दौरान ही विनायक का मन वैरागी बनने के लिए अति आतुर हो उठा। 1916 में मात्र 21 वर्ष की आयु में गृहत्‍याग कर दिया और साधु बनने के लिए काशी नगरी की ओर रूख किया। काशी नगरी में वैदिक पंडितों के सानिध्‍य में शास्‍त्रों के अध्‍ययन में जुट गए। गॉधी बाबा की चर्चा देश में चारो ओर चल रही थी कि वह दक्षिणी अफ्रीका से भारत आ गए हैं और आजादी का बिगुल बजाने में जुट गए हैं। अखंड स्‍वाध्‍याय और ज्ञानाभ्‍यास के दौरान विनोबा का मन गॉ्धी बाबा से मिलने के लिए किया तो वह पंहुच गए अहमदाबाद के कोचरब आश्रम में। जब पंहुचे तो गॉधी सब्‍जी काट रहे थे। इतना प्रख्‍यात नेता सब्‍जी काटते हुए मिलेगा, ऐसा तो कदाचित विनाबा ने सोचा न था। बिना किसी उपदेश के स्‍वालंबन और श्रम का पाठ पढ लिया। इस मुलाकात के बाद तो जीवन भर के लिए वह बापू के ही हो गए। बापू के सानिध्‍य और निर्देशन में विनोबा के लिए ब्रिटिश जेल एक तीर्थधाम बन गई। सन् 1921 से लेकर 1942 तक अनेक बार जेल यात्राएं हुई। सन् 1922 में नागपुर का झंडा सत्‍याग्रह किया। ब्रिटिश हुकूमत ने सीआरपीसी की धारा 109 के तहत विनोबा को गिरफ्तार किया। इस धारा के तहत आवारा गुंडों को गिरफ्तार किया जाता है। नागपुर जेल में विनोबा को पथ्‍थर तोड़ने का काम दिया गया। कुछ महीनों के पश्‍चात अकोला जेल भेजा गया। विनोबा का तो मानो तपोयज्ञ प्रारम्‍भ हो गया। 1925 में हरिजन सत्‍याग्रह के दौरान जेल यात्रा हुई। 1930 में गॉधी की कयादत में राष्‍ट्रीय कांग्रेस ने नमक सत्‍याग्रह अंजाम दिया गया। 12 मार्च 1930 को गॉंधी ने दाण्‍डी मार्च शुरू किया। विनोबा फिर से जेल पंहुच गए। इस बार उन्‍हे धुलिया जेल रखा गया। राजगोपालाचार्य जिन्‍हे राजाजी भी कहा जाता था, उन्‍होने विनोबा के विषय में यंग इंडिया में लिखा था कि विनोबा को देखिए देवदूत जैसी पवित्रता है उसमे। आत्‍मविद्वता, तत्‍वज्ञान और धर्म के उच्‍च शिखरों पर विराजमान है वह। उसकी आत्‍मा ने इतनी विनम्रता ग्रहण कर ली है कि कोई ब्रिटिश अधिकारी यदि पहचानता नहीं तो उसे विनोबा की महानता का अंदाजा नहीं लगा सकता। जेल की किसी भी श्रेणी में उसे रख दिया जाए वह जेल में अपने साथियों के साथ कठोर श्रम करता रहता है। अनुमान भी नहीं होता कि य‍ह मानव जेल में चुपचाप कितनी यातनाएं सहन कर रहा है। 11 अक्‍टूबर 1940 को गॉंधी द्वारा व्‍यक्तिगत सत्‍याग्रह के प्रथम सत्‍याग्रही के तौर पर विनोबा को चुना गया। प्रसिद्धि की चाहत से दूर विनोबा इस सत्‍याग्रह के कारण बेहद मशहूर हो गए। उनको गांव गांव में युद्ध विरोधी तक़रीरें करते हुए आगे बढते चले जाना था। ब्रिटिश सरकार द्वारा 21 अक्‍टूबर को विनोबा को गिरफ्तार किया गया। सन् 1942 में नौ अगस्‍त को वह गॉधी और कॉंग्रेस के अन्‍य बडे़ नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया। इस बार उनको पहले नागपुर जेल में फिर वेलूर जेल में रखा। 1948 में गॉंधी जी की हत्‍या के पश्‍चात विनोबा ने सेवाग्राम में देशभर के गॉंधीवादियों के साथ मिलकर सर्वोदय समाज और सर्व सेवा संघ की स्‍थापना की। पवनार आश्रम के इस प्रयोगवादी बाबा ने कांचन मुक्ति का प्रयोग भी किया। अर्थात अपने कडे़ श्रम के आधार पर प्राप्‍त अन्‍न और वस्‍त्र के आधार पर ही जीवन यापन करना। सन् 1951 में भूदान यज्ञ आंदोलन का आग़ाज़ विनोबा भावे ने किया। उल्‍लेख्‍नीय है कि 1946 में आंध्र प्रदेश के तेलंगाना इलाके में साम्‍यवादियों ने सामंतवादी जमींदारी के विरूद्ध भयावह हिंसक संघर्ष की शुरूआत की। तकरीबन तीन सौ बडे़ जमींदारों को कत्‍ल कर दिया गया। विनोबा इस हिंसा से अत्‍यंत विचलित हुए और उन्‍होने भूदान यज्ञ आंदोलन का आग़ाज़ किया। 18 अप्रैल 1951 का दिन और आंध्र प्रदेश का पोचमपल्‍ली गांव, विनोबा के समक्ष गांव के भूमिहीन दलितों ने 80 बीघा जमीन की मांग पेश की। सांयकाल प्रार्थनासभा में विनोबा ने ग्रामीणों से सहज भाव से पूछा कि दलितों का जमीन चाहिए और सरकार तो अभी बहुत समय लगेगा इनको जमीन मुहैया कराने में। क्‍या आप भी कुछ कर सकते है। रामचंद्र रेड्डी नामक जमींदार खडा़ हुआ और अपनी पचास एकड़ जमीन देने के लिए तैयार हो गया। बिनोबा को रास्‍ता मिल गया, उन्‍होने गांव गांव घूम घूम कर जमीन मांगने और उसे भूमिहीन दलितों में वितरित करने का संकल्‍प ले लिया। कुछ इसे तरह से ही भूदान यज्ञ की गंगोत्री निकल पडी़। देश भर में विनोबा की भूदान यज्ञ आंदोलन की गांव गांव पदयात्रा निरंतर 13 वर्षो तक जारी रही। वह कहा करते यह प्रजासूय यज्ञ है और मैं इसका अश्‍व हूं और गांव गांव अहिंसा की फतह के लिए घूम रहा हूं भूमिदान मांगते हुए। जयप्रकाश नारायण जैसे प्रबल राजनेता ने विनोबा की पांतो में जाना स्‍वीकार लिया। विश्‍वनाथ प्रताप सिंह विनोबा के अनुयायी बने। इस चिरंतन भूदान यात्रा के दौरान ही 19 मई 1960 को चंबल के खुंखार बागी डाकूओं का आत्‍मसमर्पण भी करा दिया। मानसिंह गिरोह के 19 डाकू विनोबा की शरण आ गए। आजादी हासिल होने पश्‍चात विनोबा ने राजनीति से पूर्णत: मुख मोड लिया था। अपने इस संकल्‍प पर वह सदैव कायम रहे। 1974 में जयप्रकाश नारायण के सरकार विरोधी राजनीतिक आंदोलन कमान संभालने पर भी वह राजीनीति से उदासीन बने रहे। जीवन के अंतिम दौर में उन्‍होने गौवंश की हत्‍या पर प्रतिबंध आयद करने के लिए पुरजोर कोशिश की। 15 नवंबर 1982 को इस महान् तेजस्‍वी संत ने पवनार आश्रम में अंतिम सांस ली और एक परम पुण्‍य जीवन खत्‍म हुआ। प्रभात कुमार रॉय

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by prabhat kumar roy on December 21, 2010 at 7:32am

श्रीमान गणेश जी बागी आपके साधुवाद के लिए सादर धन्यवाद।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2010 at 12:33pm

आदरणीय प्रभात कुमार रॉय जी , एक महान व्यक्तित्व से परिचय करने हेतु साधुवाद स्वीकार करे | धन्यवाद ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय, मेरा इंगित उला के नहीं, शहर के विन्यास को लेकर है। "
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है।…"
35 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ज़हीर साहब के संदर्भित शेर मैंने ने देखा है कि गांवों से शहर आने के बाद लोग अपनी सोच का विस्तार भी…"
42 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. गुरप्रीत जी.आपकी ग़ज़ल से वंचित रह जाने का मलाल है "
58 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//हालांकि ग़लती का वज्न ११२ है, मगर कहन के लिए वाह // गलती का विन्यास अरुज के लिहाज से २२ ही…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। गजल पर हुई चर्चा से बहुत कुछ सीखने को…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र श्रोत्रीय जी, आपकी गजल के शेर कमाल कर रहे हैं. आयोजन के लिए कम समय मिलता है इस लिए…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मुशायरे मे सहभागिता पर बधाई आ0 गिरिराज जी। सभी गुणीजन ग़ज़ल पर लगभग सब कुछ कह चुके हैं। आप सबकी राय…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शुक्रिया भाई गुरप्रीत सिंह जी। नीलेश जी के सुझाव सदैव प्रभावकारी होते हैं। प्रयास रहता है उन्हें…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"हार्दिक आभार आदरणीय शिजजु जी"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़ज़ल पर आकर अपने विचार रखने के लिए आभार ऋचा जी ."
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service