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विनायक सेन को समर्पित मेरी कविता (राजद्रोह) अरुण साथी

 यह कविता अरुण साथी के ब्लाग से साभार ली गई है  

राजद्रोह है 
हक की बात करना।

 

राजद्रोह है
गरीबों की आवाज बनाना।

खामोश रहो अब
चुपचाप
जब कोई मर जाय भूख से 
या पुलिस की गोली से
खामोश रहो।

अब दूर किसी झोपड़ी में
किसी के रोने की आवाज मत सूनना
चुप रहो अब।

बर्दास्त नहीं होता
तो
मार दो जमीर को
कानों में डाल लो पिघला कर शीशा।

मत बोलो 
राजा ने कैसे करोड़ों मुंह का निवाला कैसे छीना,
क्या किया कलमाड़ी ने।

मत बोला
कैसे भूख से मरता है आदमी
और कैसे
गोदामों में सड़ती है अनाज।

मत बोलो,
अफजल और कसाब के बारे में।
और यह भी की 
किसने मारा आजाद को।

वरना

विनायक सेन
और 
सान्याल की तरह
तुम भी साबित हो जाओगे 
राजद्रोही
राजद्रोही।


पर एक बात है।
अब हम
आन शान सू 
और लूयी जियाबाओ 
को लेकर दूसरों की तरफ
उंगली नहीं उठा सकेगें।

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Comment

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Comment by asha pandey ojha on February 22, 2012 at 1:16pm

मत बोलो,
अफजल और कसाब के बारे में।
और यह भी की 
किसने मारा आजाद को।

वरना यह वरना .. कितनी बड़ी कहानी कह देता है ..  बहुत कमाल रचना है 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 26, 2010 at 4:51pm

मत बोलो,
अफजल और कसाब के बारे में।
और यह भी की 
किसने मारा आजाद को.....

वाह बेहतरीन अभिव्यक्ति ...

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