For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नई सफर की शुरूआत
हम बच्चे मन के सच्चे आँखो के तारे सबके प्यारे कैसे देखते देखते ही बढ़ जाते हैँ पता ही नहीँ चलता। ऐसे ही धीरे-धीरे बढ़ते बढ़ते हम भी अपने दादा-दादी जैसे बुढ़े हो जाएगे। असहाय हो जाएँगे। मेरी नानी जो लगभग 1916 ई॰ के आस पास जन्मी होगी अब उसी पड़ाव मे पहुँच चुकी जिसे दूसरा बचपन कहा जाता है। उनकी बाते उनकी हरकते एकदम छोटे बच्चो जैसी हो गई है। छोटे बच्चो से जैसे प्यार का अनुभव मिलता है उसी तरह इन बुढ़ो से भी मिलता है।


मेरी नानी से जब  मैं छोटा था खुब खेला करता था आज मुझे अपने पास बैठा कर खेलना चाहती कमजोरी का जब तक एहसास नहीँ होता अपने को बच्चे की तरह ही समझती है और जब थक जाए तो कहती है-" होऊ बुढ़िया होए गेलोँ नी वोहेले नइ पाराथो अपन परया मे तो कहाँ से कहाँ पैदले चईल जात रहो" नानी को कई भाषाओँ का ज्ञान है पर वो थक जाने पर कौन सा भाषा का प्रयोग करेगी कहा नहीँ जा सकता। अंग्रेजो के शासन काल की जुड़ी बाते बताती है उनको भी उनके यहाँ काम करना पड़ा था। देश के आजाद होने पर वो बहुत खुश हुई थी। पर जब कभी न्यूजपेपर या टेलीविजन पर हो रहे अत्यचार परेशानियो को देखती है तो कहती है - इससे तो अच्छा अंग्रेज मन केर राईज रहलक एतई किच किच तो नइ होत रहलक। गुलामी के सुन्दर पट्टा से आजादी के परेशानियाँ ज्यादा अच्छी है ये भी मेरी नानी को पता है।

अब नानी जी ज्यादा समय खाट पर बिताती है उनके उठने बैठने मे परेशानी कुछ ज्यादा होने लगी है वो अब भुलने भी लगी है जिससे परिवार वाले परेशान हो जाते है नानी जी चाय की बहुत शौकीन है वह चाय पीने के लिए तरह तरह की बहाने बनाती है आज जब उसे चाय दिया जाता है तो वह कुछ समय पश्चात फिर से चाय की माँग करने लगती है और कहती है उसे तो चाय तो दिया ही नही गया।
आज वह दुनिया के परेशानियो दिक्कतो से धीरे धीरे दूर जा रही वह फिर से बच्चो जैसी कोमल, निष्कलंक, नम्र, नादान, खुश (चंलल) हो रही है उसे अब संसारके बातों से कुछ लेना देना नही।
उम्र के इस पड़ाव पर भी वो खुश है क्योकि उनकी सेवा करने मे परिवार के सभी सदस्य अपना योगदान निस्वार्थ देते है। ये देख कर मुझे बहुत खुशी होती है क्योकि ना जाने कितने को बुढ़ापे मे कोई सहारा नही मिलता उनके बेटे बेटियाँ ही उनकी सेवा नहीँ करते, इस मामले मे हमारा परिवार धन्य है जो मदद और सेवा के लिए हमेशा तैयार रहता है। अब आप कन्हीँ ये तो नहीँ सोच रहे है कि ये कौन है जो अपने ही परिवार का बड़ाई करने मे लगा है वो भी इतने साधारण शब्दों  में  तो में  बताना चाहूँगा कि मैं  नानी जी जैसी बुजुर्गो  को बहुत प्यार करता हूँ उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ।
मैं  स्वार्थ के कारण भी ऐसा करता हूँ क्योकि मैं  सोचता हूँ कि अगर आज मैं  इनकी सेवा करू तो मुझे देखकर मुझ से छोटे भाई -बहन बाल-बच्चे आने वाली पीढ़ी  भी इसी तरह हमारी सेवा करेगी 
तो मै और आप मिलकर चलिये एक नई शुरूआत करे जिसमे हम बड़े बुर्जुग को पुरी सहानुभूति से प्रेम मिलाप से अपनापन से उनकी मदद सेवा करें ।
धन्यवाद।

 

Views: 289

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service