For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर-
212/212/212/212

हम है राही मुहब्बत बताया न कर
प्यार हैरत सें ऐसे जताया न कर

आँख बह जाने दे देख बस तू ह्रदय
भीग जाये जो दामन सुखाया न कर

जिंदगी की राह पर साथ आ हमसफ़र
पास रह के तू दूरी बनाया न कर

क़त्ल करना है तो क़त्ल कर दे मुझे
धार चाकू दिखा कर डराया न कर

जानता हूँ तू वैद्यो के घर से जुडी
दोस्ती में मेरी जखम खाया न कर

प्यार मजहब कभी भी नही देखता
यार मजहब की भाषा सिखाया न कर

सोंच मत हाँथ दे बे फिकर हम सफ़र
लुत्फ़ तू जिंदगी का घटाया न कर
--------------------------------------------
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 17, 2015 at 9:37am
जानता हूँ तु वैद्यों के घर में जन्मी
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर
या
जानता हूँ तु वैद्यों के घर से जुडी
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 17, 2015 at 9:35am
जानता हूँ तु वैद्यों के घर में जन्मी
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 17, 2015 at 9:27am
प्यार की राह पर साथ दे हम सफ़र
पास रह के तु दूरी बनाया न कर
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 17, 2015 at 9:23am
आ गिरिराज सर
आप के स्नेह और मार्ग दर्शन के लिए
सादर आभार
आप ने वो कमिया बताई जो सिर्फ एक
उस्तज ही बता सकता था
सर सादर आभार नमन

सर बदलाव मतले पर बदलाव की बात की
तो फिर एक प्रयास---

ऐ मेरे हमसफ़र वक्त ज्याया न कर
प्यार हैरत से इतने जताया न कर

अब सर सायद अताया
ख़त्म हो आया हो जाये
सर एक बार देखिये गया
कुछ सही हुआ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2015 at 7:36am

आदरनीय आमोद भाई . ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है , आपको हार्दिक बधाइयाँ -

1- मतले मे आपने ,  बताया और जताया ले कर  काफिया  अताया तय कर लिया है , और बाक़ी शे र मे आपने केवल आया निभाया है , तो अभी फिल हाल आपके बाक़ी शे र काफिया के लिहाज़ से खारिज हो रहे हैं ।
2- जिंदगी की राह पर साथ आ हमसफ़र   -- ये मिसरा बे बहर है , देख लीजिये गा

3- ज़खम को ज़ख्म कर लीजियेगा , नही तो ये मिसरा भी बेबहर लगेगा ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 16, 2015 at 11:03pm
सर इस गजल के बारे में भी कुछ जानकारी मिल जाती तो अच्छा होता

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service