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अंग प्रदेश की भागीरथी ! !

"आज कुछ भाव अनायास मन में उठे !

इस कविता का संदर्भ : मैं गंगा किनारे बसे अंग प्रदेश से हूँ ..
और अभी यमुना नदी के शहर दिल्ली में रह रहा हूँ !
कुछ भाव इस प्रकार है ..जीवन यात्रा भागीरथी तट से कालिंदी तट तक की बयाँ है ! "
अंग प्रदेश की भागीरथी को ..
मोड़ लाया कालिंदी के संग !


कभी कल कल बहती वो जहान्वी,
वेग उफान कभी सहती बहती !


अब सिमटी सिमटी चलती वो जहान्वी,
आज थम गयी यमुना के संग !


मटियाले जल से सजा था जीवन ,
आज चढ़ ही गया उसे ये शहरी रंग !


जिस जल में धुल जाते थे ,
हर अगणित पापी तन ,
आज उस पर ही चढ़ बैठा ,
ये राग द्वेष का कैसा रंग !


किस किस को कोसे ये मन ,
मन मैले संग मैंने रंगा दिया,
भागीरथी तेरा ही दिया तन !


अंग प्रदेश की भागीरथी को ..
मोड़ लाया कालिंदी के संग !



: सुजीत

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2011 at 9:34am
जिस जल में धुल जाते थे ,
हर अगणित पापी तन ,
आज उस पर ही चढ़ बैठा ,
ये राग द्वेष का कैसा रंग !
वाह वाह वाह , बहुत ही सुन्दरता के साथ भाव प्रकट किया है आपने, भागीरथी केवल नदी भर नहीं है वो तो माँ है माँ , मैं भी गंगा किनारे का ही रहने वाला हूँ और माँ गंगा के गोद में जो आनंद प्राप्त होता है वो तो सिर्फ वाही जानते है जो यह सुख भोगा है , जय माँ गंगे |
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