chavi ji bahut bahut shukriya hausala afzai ke liye aap bhi kuch likhiye ...aapke fun ka hume besabri se intezaar hai ...mam thnx again for compliments...
best regard
aleem azmi
chhavi ji aap ka bahut baht aabhar ..आप द्वारा प्रशंसा में कहे हुए दो शब्द मेरी कलम में कभी ना ख़त्म होने वाली स्याही का काम करेंगे ....आप की दुआएं बन सकती है कभी ना मिटने वाले अक्षर bahut bahut dhnywaad..!
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Chhavi Chaurasia's Comments
Comment Wall (12 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
best regard
aleem azmi
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
Happy Birthday ~ScrapU~
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
पूनम की रात (दोहा गज़ल )
तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
यथार्थवाद और जीवन
ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
तरही ग़ज़ल
गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
दोहा पंचक. . . अपनत्व
दोहा पंचक. . . नया जमाना
Latest Activity
पूनम की रात (दोहा गज़ल )
सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी posted a blog post
तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169