आदरणीय मित्रों !
आप सभी का हार्दिक स्वागत है ! शिक्षा हमारे जीवन का अति महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि यही हमारा चरित्र निर्माण करती है, हमारा आत्मविश्वास बढ़ती है साथ-साथ हमारे व्यक्तित्व को भी सही दिशा प्रदान करती हुई हमारे जीवन में सुगंध ही सुगंध बिखेर देती है| वस्तुतः हमारा संपूर्ण व्यक्तित्व ही इस बात पर निर्भर करता है कि हमने किस स्तर की शिक्षा प्राप्त की है ...दोस्तों ! अशिक्षा तो एक अभिशाप की तरह है परन्तु शिक्षा प्राप्त करने हेतु उम्र बिल्कुल बाधक नहीं होती. इसी को मद्देनज़र रखते हुए सर्वसहमति से इस बार 'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -६' हेतु ऐसे चित्र का चयन किया है जिसमें यह स्पष्ट रूप से यह परिलक्षित हो रहा है कि शिक्षा तो किसी भी उम्र में प्राप्त की जा सकती है !
आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ आप किसी भी विधा में इस चित्र का चित्रण करने के लिए स्वतंत्र हैं ......
नोट :-
(1) १५ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १६ से १८ तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |
(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे |
(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-५ के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता इस अंक के निर्णायक होंगे और उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी | प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा |
सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओ बी ओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक रचना ही स्वीकार की जायेगी |
विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-६ तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी,, साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |
Tags:
Replies are closed for this discussion.
अमरीश जी, कितना सुंदर लिखा हैं, बधाई
भाई अम्बरीश वाह वाह ही निकल रहा है मुंह से आपकी कुण्डलिया पढ़कर. इतनी नन्ही सी रचना में गज़ब के भाव भर दिए हैं, ये खूबी ही आपको अद्वितीय बनती है. चित्र से न्याय करती रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये.
पाया अक्षर ज्ञान, श्याम पट राह दिखाये,
खुला प्रतीक्षित द्वार, स्नेह के दीप जलाये,
जाना हमने आज, बहू भी बेटी जैसी.
शब्द कराते मेल, दिलों में दूरी कैसी!!
वाह श्रीवास्तव साहेब, ............... एक पंथ दो काज ............... शिक्षा के क्रम में आपने एक और शिक्षा दी है ............... बहु भी बेटी है ................ यह मेरे द्वारा लिखित एक TELE FILM का नाम भी है ............. आपकी लेखनी को सलाम है
आपकी इस कुण्डलिया पर मेरी हार्दिक बधाई..
जाना हमने आज, बहू भी बेटी जैसी.
शब्द कराते मेल, दिलों में दूरी कैसी!! ........... इन पंक्तियों के लिये आभार ..
वधु-बेटी को जानिये , दो काया इक प्राण
एक हिलोरे प्रेम-रस, दूजे कारण त्राण
दूजे कारण त्राण, समर्पित जीवन सारा
धर्म कर्म आधार, बहू ही असल सहारा
निश्छल सारा प्रेम, कहो ना ’जैसी-बेटी’
दोनों मेरी जान, सुखी हो हर वधु-बेटी
निश्छल सारा प्रेम, कहो ना ’जैसी-बेटी’
दोनों मेरी जान, सुखी हो हर वधु-बेटी
मैं अभिभूत हूँ इस रचना पर, आप तो काव्य सरिता बहा दिया है, मैं डुबकी लगा रहा हूँ |
क्या खूबसूरत लिखा है सर - भगवान् नज़रे बद से बचाए !
बहुत ही बढ़िया सौरभ भैया....उनके साथ साथ आपने भी तड़का लगाया...बहुत ही बढ़िया लिखा आपने भी...
वाह अम्बरीश जी वाह, आपके द्वारा बहुत ही खुबसूरत काव्य चित्रण किया गया है, चित्र को पूरी तरह समाहित करती हुई यह कुण्डलिया छंद बेहद खुसुरत बन पड़ी है, बधाई स्वीकार करें |
जाना हमने आज, बहू भी बेटी जैसी.
शब्द कराते मेल, दिलों में दूरी कैसी!!
ये पंक्तियाँ बहुत ही कमाल की हैं आदरणीय अम्बरीश श्रीवास्तव जी ! सादर वंदन स्वीकार कीजिए !
आपकी ही लिखा हुआ मैं तब से खोज रहा था...अब जाकर मिला है...बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने/....खुबसूरत कुण्डलियाँ...
एक गीत - प्रतियोगिता से अलग
काट निरक्षरता के बन्धन साक्षरता को लाना है ।
हे भारत जन पढ़ लिख कर भारत को स्वर्ग बनाना है ।
आओ पढें, आओ पढें, पढ़ लिख कर आगे बढें ।
शिक्षित होगा जब समाज तब अन्धकार मिट जाएगा ।
घर-घर में उजियारा होगा राष्ट्र प्रगति कर पाएगा ।
शिक्षा ही आधार मूल है अब ये हमने जाना है ।
हे भारत जन पढ़ लिख कर भारत को स्वर्ग बनाना है ।
मानवता का पाठ पढ़ाया शिक्षा ने ये क्यों भूलें ।
बहे ज्ञान की गंगा हरदम हम बढ़कर नभ को छू लें ।
पढ़े लिखे हों सभी नागरिक अब यह ध्येय हमारा है ।
हे भारत जन पढ़ लिख कर भारत को स्वर्ग बनाना है ।
मत शरमाओ आगे आओ अब शिक्षा को अपनाओ ।
गाँव-गाँव बस्ती-बस्ती में ज्ञान ज्योति को फैलाओ ।
अब ना कोई रहे निरक्षर यह संकल्प हमारा है ।
हे भारत जन पढ़ लिख कर भारत को स्वर्ग बनाना है ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |