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"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक - 25 (Now closed with 1348 Replies)

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 25  में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.  प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है, इस चित्र में जैसा कि प्रथम दृष्ट्या प्रतीत हो रहा है पुलिस-भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.

अब आप सभी को इसका काव्यात्मक मर्म चित्रित करना है !

                                                                                                              *चित्र गूगल से साभार

 

जीवन है संग्राम सम, अनथक हो व्यक्तित्व
सार्थक सबकी भूमिका, पृथक-पृथक दायित्व


तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी.. और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओबीओ प्रबंधन द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों पर ही आधारित काव्य-रचनाओं पर होगा.  कृपया इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त प्रकार अवश्य उल्लेख करें. ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 

नोट :-
(1) 18 अप्रैल-13 तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, 19 अप्रैल-13 से 21 अप्रैल-13 तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद ही स्वीकार किये जायेगें.

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|

अति आवश्यक सूचना :- ओबीओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-25, तीन दिनों तक चलेगा जिसके अंतर्गत इस आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट अर्थात प्रति दिन एक पोस्ट दी जा सकेगी. नियम विरुद्ध या निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी.
मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

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Replies to This Discussion

//कुंडली या कुंडलिया के आरम्भ में एक दोहा और उसके बाद इसमें छः चरण होते हैं//

यह कुंडली छंद का विधान गलत है, साथ ही आपकी रचना भी कुण्डलिया विधा से बाहर हो रही है । 

कुण्डलिया = दोहा + रोला 

दोहा =  2 पद , रोला = चार पद , दोनों मिलाकर कुण्डलिया = 6 पद । 

जी कोई बात नहीं , किन्तु यदि ये मुक्त छंद मे या तुकान्त छंद मे अगर फिट हो रही हो तो इस विधा मे लगा दें ।

अन्नपूर्णा जी आपकी इस प्रस्तुति पर आपको बधाई। गुरूजनों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और अपनी रचना को संशोधित करें।
यहां बने रहें। इस आयोजन की प्रत्येक प्रस्तुति को पढ़ें टिप्पणियों को देखें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
सादर!

जी धन्यवाद बृजेश जी । परंतु मै हिन्दी की छात्रा नहीं रही हूँ शायद इसलिए कमजोर हूँ ।

तो यहां कौन बलवान है। सब यहीं खा पीकर मोटे हुए हैं। यहां सतत उपस्थित रहें आपकी भी सेहत बन जाएगी। आलोचना से डर कर भागें नहीं। आलोचना ही उन्नति का मार्ग है।

आज की प्रस्तुति

 

दोहे---दोहे में दो पद और चार चरण होते हैं इसके प्रत्येक  पद में २४ मात्राएँ होती हैं ।हर पद दो चरणों में बंटा होता है ...और उसके  पहले और तीसरे चरण में १३-१३ मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं ।

 

निकले हैं नव राह पर, लिए अटल विश्वास।

होना है हर हाल में, इम्तिहान में पास।

 

हड्डी पसली एक है, लेकिन मन में चाह।

पंख पहनकर उड़ चलें, आसमान की राह।

 

पद की रखना लाज अब, करके मद का त्याग।

लगने ना पाए कभी, इस वर्दी पर दाग।

 

सदा सकारक सोच से, कर्म क्षेत्र को जीत।

मानुष जन्म मिला तुम्हें, व्यर्थ न जाए बीत।

 

काश! हमारे देश में, जन्में ऐसे पूत,

जो समाज को दे सकें, श्रम अनमोल अकूत।

 

बहरे मूक समाज से, पूछ रही तस्वीर।

कब बदलेगी देश में, दीनों की तकदीर। 

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी

(संशोधित)

आदरणीया कल्पना जी बहुत ही सुन्दर दोहे रचे हैं। बधाई स्वीकारें।

आदरणीया कल्पना जी सादर प्रणाम 

बहुत ही जोरदार दोहे रचे हैं आपने उसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई 

\\पंख पहनकर उड़ चलें\\ को यदि \\पंख लगाकर उड़ चलें\\  

जय हो मन प्रसन्न हो गया आपकी रचना पढ़कर 

बहरे मूक समाज से, पूछ रही तस्वीर।

कब बदलेगी देश में, दीनों की तकदीर। 

प्रिय मित्र संदीप जी, आपका सुझाव स्वागत योग्य है। मेरे सामने भी यह विकल्प था, लेकिन पंख पहन से रचना अलंकृत हो रही है, इसलिए यही चुना। अर्थ तो एक ही है, आपका बहुत धन्यवाद...साभार

 

आदरणीया कल्पनाजी, इस आयोजन में आपकी दूसरी प्रस्तुति पढ रहा हूँ. शायद अबतक मैंने आपकी यही दो रचनाएँ देखी भी हैं. आपका रचनाकर्म संयत तो है ही इसे आप गंभीरता से लेती भी हैं, यह अवश्य प्रतीत हो रहा है.

आपने संक्षिप्त विधान में जिन्हें चरण कह रही हैं उसे पद कहें तो अन्य छंदों की जानकारी के क्रम में सरलता होगी. इस तरह,  दोहा दो पदों और चार चरणों का छंद है.

एक बात और, चरणों की मात्राओं की गणना में विषम चरण की मात्रा को १३ से १२ या १४ मात्रा न होने दें. इसी तरह से सम चरणों की मात्रा को भी ११ की जगह १२ या १० न होने दें.  चूँकि, ऐसा आपकी प्रस्तुति में दो जगह हुआ है, अतः निवेदन कर रहा हूँ.

संयत प्रयास के लिए पुनः बधाई स्वीकार करें, आदरणीया

सादर

आ॰सौरभ जी, मैं मानती हूँ कि मेरा शिल्प ज्ञान कमजोर है, क्योंकि कंप्यूटर से जुडने, लिखने और सीखने का क्रम मैंने जीवन के ४५ वर्षों बाद इसी दशक के आरंभ से ही शुरू किया है। शिक्षा से नाता १७ वर्ष में ही छूट चुका था।।यह परिभाषाएँ नियमों की माँग के कारण कहीं और से कॉपी करके ही पेस्ट की हैं ।  मुझे फिर से पढ़ने पर भी समझ में नहीं आया कि कहाँ मात्राओं में गड़बड़ है। आप कृपया स्पष्ट करें तो आपका आभार होगा। मैं फिर से एडिट कर लूँगी।आगे भी आप मार्गदर्शन करते रहें इसी उम्मीद के साथ...  

आदरणीय कल्पना जी आपके इस साहित्य प्रेम और समर्पण को मेरा सलाम! मैं आपकी कठिनाई हल करने में कुछ सहायता करना चाहता हूं शेष तो गुरूजन आपको मार्गदर्शन देंगे ही।
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सादर!

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