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Ashok Kumar Raktale's Discussions (6,391)

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"आदरणीया नयना कानिटकर जी सादर,  कहते हैं जहां चाह वहां राह. रिश्तों में जमी धुंध छाए…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"भारी-भारी साँसें लेती और पहल क्या करती धरती ?अब हासिल सब.. कुहा-कुहा-सा !...........…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मन से कुहरा हठ रहा, चलती मधुर बयार, पतझड़ हो मन से विदा, तब जीवन का सार |......सच है…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"अपनी, उन्मत्तता के उत्तम चलन से  निकली यह गंध-धुंध  कुहरा बन,  कहीं ढंक न ले उस पवित…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सुबह सुहानी तब लगे, जब कुहरा छा जाय। हाथ पकड़ प्रियतम चले, रुक रुक कर लिपटाय॥........…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"उसी कोहरे और धुंध में गर छोटे-छोटे धूल और मिट्टी के कण मिल जाएँ तो कोहरा बदरंग हो जा…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"भाई समर कबीर जी सादर, मुझे ज्ञात नहीं था आप मेरे शहर से ही हैं. स्वागत है आपका. मेरा…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सब सुलझ जायेगा जनता जब जागेगी घना कोहरा छंट जायेगा! *.........बहुत पते की बात कही है…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सिर्फ़ उल्फ़त निभाओ कुहरा है / आज मत आज़माओ   कुहरा है /......वाह ! सुंदर मतला हुआ है.…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ऐ फिज़ा ! अहसान हम पर कर जरा, इतना बता- इस घने कुहरे के पीछे कुछ छिपा है या नहीं? दास…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 13, 2016 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-64

854 Feb 13, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
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