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Sushil Sarna's Discussions (1,408)

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"आदरणीय       सतविन्द्र कुमार  jee  रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय      Tasdiq Ahmed Khan  jee  रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय     योगराज प्रभाकर  jee  रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय    Mohammed Arif jee  रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय     लक्ष्मण रामानुज लडीवालाजी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय    Samar kabeer जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। "

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"प्यार लुटाती खुश होकर माँ, अपने मन के गाँव में |आँख मिचोली खेले बच्चा, माँ ममता की छ…"

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"छाँव/छाया .... (एक त्वरित रचना ) लो अलंकरण हो गया सड़कों से अब हर गाँव का और रिश्ता ट…"

Sushil Sarna replied May 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"रही जूझतीं पर सहारा न थामेरी कश्तियों को किनारा न था गिराया उसी ने जिसे दी पनाहखिजाँ…"

Sushil Sarna replied Apr 15, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-78

453 Apr 16, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जाति - धर्म के पचड़े में , मतदाता क्यों लुट जाते हैं ।बस चुनाव के वक़्त फ़क़त वो , जनार्…"

Sushil Sarna replied Apr 15, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-78

453 Apr 16, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ सावन रिमझिम आ गया, सड़कें बनतीं ताल। पैदल लोगों का हुआ, बड़ा बुरा है…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
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गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
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सदस्य टीम प्रबंधन
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