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विवेक मिश्र's Discussions (159)

Discussions Replied To (152) Replies Latest Activity

"/दीवाना हूँ दीवानों सी हरकत करूँगा ही मैं  सीधे सादों तुमको खबरदार होना चाहिए/ भाई द…"

विवेक मिश्र replied Sep 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १५( Now closed with Record 1063 Replies for Mushayra )

1063 Oct 1, 2011
Reply by adarshini srivastava

"/वो जिन्होंने जानते औ बूझते भी शादी की उन जवानों को नमन शतबार होना चाहिए/ - इतने खुल…"

विवेक मिश्र replied Sep 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १५( Now closed with Record 1063 Replies for Mushayra )

1063 Oct 1, 2011
Reply by adarshini srivastava

"ओपन बुक्स ऑनलाइन कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को मुबारकबाद. @ वीनस जी- प्रीतम बाबू तो…"

विवेक मिश्र replied Sep 19, 2011 to घोषणा : ओपन बुक्स ऑनलाइन सदस्य कार्यकारिणी

35 Sep 29, 2011
Reply by आशीष यादव

"तिलक जी से पूर्ण सहमत हूँ."

विवेक मिश्र replied Sep 12, 2011 to सदस्य सक्रिय क्यों नहीं होते

170 Sep 14, 2011
Reply by Ashwini Ramesh

प्रधान संपादक

"आदरणीय योगराज सर, इस प्रकार चार भाषाओं में एक से बढ़कर घनाक्षरी छंद प्रस्तुत करना, व…"

विवेक मिश्र replied Jul 26, 2011 to चार भाषायों में चार घनाक्षरी छंद

5 Jul 26, 2011
Reply by Aradhana

"जबरदस्त ख़याल. ऐसा कोई, जो बहुमंजिला इमारत में रहते हुए भी ज़मीन की सोचता है, मिलना ब…"

विवेक मिश्र replied Jul 10, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ९

1024 Jul 11, 2011
Reply by Admin

"/जीवन में  मेरे जबसे नन्ही  परी  आई  हर पल सजा यूं जैसे बरखा, बहार आई/ एक कोमल सा ख़्…"

विवेक मिश्र replied Jul 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ९

1024 Jul 11, 2011
Reply by Admin

"सौरभ सर! वैसे तो आपकी कवितायें और नज्में हमेशा से ही प्रभावशाली होती हैं, लेकिन इस क…"

विवेक मिश्र replied Jul 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ९

1024 Jul 11, 2011
Reply by Admin

"वाह! पढ़कर आनंद आ गया."

विवेक मिश्र replied Jul 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ९

1024 Jul 11, 2011
Reply by Admin

"/बांध घुंगरवा बुंदिया छमकेसावन कीपायलिया पहने,ओढ़ चुनरिया धानी,धरती नाच उठी./ शब्द च…"

विवेक मिश्र replied Jul 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ९

1024 Jul 11, 2011
Reply by Admin

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हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में पर आ जाता है।दिल…See More
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ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
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Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
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Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
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22 hours ago

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