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sanjiv verma 'salil''s Discussions (1,064)

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"बहुत खूब... कुछ मजाहिया कुछ संजीदा अश'आर... गंगो-जमुनी रंग ने मजा ला दिया. बहुत-बहुत…"

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"तलब होती अगर दौलत की साहब हम फकीरों कोनज़र के शबनमी कतरों को हम गौहर बना लेतेपूरी ग़…"

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"तेरी आँखें जो बुनती हैं, वही मंजर बना लेतेझुकी पलकें लिये तेरी नज़र-झालर बना लेतेवाकई…"

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आपकी रचना का स्वागत. प्रभाकर जी से सहमत हूँ."

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"सत्प्रयास... शुभकामनायें.."

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"अच्छी रचना... अंतिम पंक्तियाँ कुछ खटकती लगीं."

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"सुबह गाते भजन औ रात को कजरी सुनाते हम अरुण गर शहर ना आते तो अपना घर बना लेते. बहुत ख…"

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"नहीं चलता है बस इनका मेरे इस देश पे वरनाकई नेता महल अपने मज़ारों पर बना लेतेइस शेर क…"

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"मन को छूते हुए कलम के लिए बधाई. बहुत ऊँची इमारत है जिसे अपनी वो कहते हैं.मजा आता अगर…"

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"वाह... वाह... उस्तादाना कलाम.... बहुत-बहुत बधाई."

sanjiv verma 'salil' replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
8 hours ago

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