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"कफ़न को बांधकर सर पर चला है जानिबे सरहद मज़ा जब है वतन की राह में जब अपना सर जाये....…"

kanta roy replied Apr 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-70

717 Apr 23, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"सितारे चांद सूरज सब के सब गर्दिश में रहते हैं न जाने क्या हो दुनिया का अगर एक पल ठहर…"

kanta roy replied Apr 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-70

717 Apr 23, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"सुलगती है हवा जलती, हुई सी सब दिशायें हैं। सुनो तुम मुस्कुराओ तो, ज़रा सब कुछ निखर जा…"

kanta roy replied Apr 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-70

717 Apr 23, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"बहुत मुमकिन है मर कर ही मुहब्बत का असर जाए धुआँ हो जिस्म जब मेरा, तेरी ख़ुशबू बिख़र जा…"

kanta roy replied Apr 22, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-70

717 Apr 23, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"मिटने लगता है दूरियों का भान समय सापेक्ष में. जरूरत होती हैकेवल एक सहचर की। ----वाह…"

kanta roy replied Apr 10, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-66

520 Apr 10, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"रही माटी न आज की मुनासिब पौध के लिए बिखेरें बीज भ्रष्ट अगर उगेंगे नाम बेहिसाब---- ला…"

kanta roy replied Apr 10, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-66

520 Apr 10, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"इक पगडण्डी जाती दिखाई दे रही है जिस पर इक्का दुक्का लोग कांटें चुनते हुए धीरे -धीरे…"

kanta roy replied Apr 10, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-66

520 Apr 10, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"नित्य ध्येय पथ पर चलें, जैसे चलते काल ।सुख दुख एक पड़ाव है, जीना है हर हाल ।--------…"

kanta roy replied Apr 10, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-66

520 Apr 10, 2016
Reply by Saurabh Pandey

" वाह ! बेहद गूढ़ लेखन  ! क्या  बात है  आपकी इस सार्थक कविता की  आदरणीया नयना जी , चकि…"

kanta roy replied Apr 10, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-66

520 Apr 10, 2016
Reply by Saurabh Pandey

"बाधाओं को भूल के,रख मंजिल का ध्यानसतत जो राह पे बढ़े,कर लेता सन्धान....बहुत सुन्दर कथ…"

kanta roy replied Apr 10, 2016 to "ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-66

520 Apr 10, 2016
Reply by Saurabh Pandey

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गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
3 hours ago

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
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Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
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