For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI's Discussions (190)

Discussions Replied To (190) Replies Latest Activity

"समसामयकी पर आधारित एक ऐसी रचना जिसमें चेतना के अनेकों प्रश्न हैं। जिनके उत्तर भी सका…"

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Dec 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना)

107 Dec 31, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"वर्तमान परिपेक्ष्य को उजागर करती हुई रचना , ये सारी समस्याओं का निवारण होना वास्तव म…"

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Dec 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना)

107 Dec 31, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"  प्रदत्त विषय पर एक अच्छी रचना। बधाई। "

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Dec 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना)

107 Dec 31, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"चेतना कभी भी लौट सकती है। वह तो प्रतीक्षा में रहती है सही वक़्त के। और ये भी तय है कि…"

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Dec 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना)

107 Dec 31, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित शानदार रचना। बहुत बहुत बधाई। "

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Dec 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना)

107 Dec 31, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"मंज़िल (लघुकथा)मनु की चाल बहुत तेज़ थी। पता नहीं कितनी मंज़िलें अभी बाकी थीं। चला जा रह…"

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Dec 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना)

107 Dec 31, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"बहुत बहुत शुक्रिया , जनाब। "

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Oct 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

" बहुत बहुत धन्यवाद , आपका।"

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Oct 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"सादर आभार , आदरणीय  "

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Oct 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"सुंदर भावनात्मक अभिव्यक्ति, हार्दिक बधाई ।"

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल जो दे गया है मुझको दग़ा याद आ गयाशब होते ही वो जान ए अदा याद आ गया कैसे क़रार आए दिल ए…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221 2121 1221 212 बर्बाद ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिए दुश्मन से दोस्ती का मज़ा हमसे पूछिए १ पाते…"
1 hour ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, ग़ज़ल की बधाई स्वीकार कीजिए"
3 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। वो शोख़ सी निगाहें औ'…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गयामानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१।*तम से घिरे थे लोग दिवस ढल गया…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221    2121    1221    212    किस को बताऊँ दोस्त  मैं…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"सूरज के बिम्ब को लेकर क्या ही सुलझी हुई गजल प्रस्तुत हुई है, आदरणीय मिथिलेश भाईजी. वाह वाह वाह…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
Thursday
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service