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Er. Ambarish Srivastava's Discussions (6,307)

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"आदरणीय भाई बागी जी! आपकी इस जोशीली प्रतिक्रिया से गज़ल में नयी जान आ गयी !....आपका क…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
Reply by Admin

"भाई बागी जी ! आप भी मौका नहीं चूके ना ....हा हा हा हा ....:)))  "

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
Reply by Admin

"वो भूली कहानी याद आ रही है वो दुनिया पुरानी याद आ रही है वो नागिन सी जुल्फें भीनी…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
Reply by Admin

"मुहब्बत को तूने बदनाम कर दिया , तेरा नाम लेने में अब डरते हैं हम , कैसे कहूँ यार तेर…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
Reply by Admin

"  //"तुम्हारी याद अब उसी दिन जायेगी जब मै चला जाउंगा फिर ना कभी वापस आने के लिए"// क…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
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"//वो जो हर पल नैनों में समाये रहते हैं जहाँ पलकें भी स्थिर हो  जाती हैं दृष्टि निर…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
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"  //तन्हाइयां, इस दिल पे चोट करती हैं, ये न पूछो कैसे डरी-डरी सांसें चलती हैं//  वाह…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
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"  //टूटे  फूटे  वादे    ,कभी     ताने  और     फरियादें     , इनसे   ही   बन   जाती  …"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
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"//ख़्वाब में तुम मेरे आती जाती रहीं, रात भर नींद में गुनगुनाता रहा।// बहुत खूब भाई…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
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"भाई बागी जी नें बहुत सही विश्लेषण किया है आपकी रचना का ...........वाकई इस जिन्दगी क…"

Er. Ambarish Srivastava replied May 5, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ७ (Now Closed)

355 May 8, 2011
Reply by Admin

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