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दिनेश कुमार's Discussions (883)

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"तब और पे हमले की, परवाह नहीं होती तलवार की ज़द में जब, सर अपने नहीं होते.... क्या अं…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"हर एक शेर उम्दा। लाजवाब गिरह। बेहतरीन ग़ज़ल। दिल से ढेरों दाद व मुबारकबाद आपके लिए आदर…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"हाथों में लिए ख़ंजर , गर अपने नहीं होते दहशत में कभी इतने घर अपने नहीं होते गर क़ाफ…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"लाजवाब मतल। शानदार गिरह। परवाह नहीं करते इक पल के लिए अपनी सरहद में सिपाही के सर अपन…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ग़ज़ल कहने का अंदाज़ सीखने को मिलता है आपसे आदरणीय समर साहब। इन अशआर का भी जवाब नहीं। क…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"वाह वाह वाह !!! हर एक शेर ज़बरदस्त हुआ है मोहतरम जनाब मसूद साहब। इस मुररसा ग़ज़ल के लिए…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जो खोखली मुस्कानें , ले हाथ मिलाते हैं कितना भी लिपट जायें , पर अपने नहीं होते...बहु…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीया राजेश जी। अच्छी ग़ज़ल के लिए मेरी तरफ से हार्दिक दाद। waah waaah भर और ख़ंजर क़ा…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"हर बार की तरह मुशायरे की बेहतरीन शुरुआत करने के लिए भाई मिथिलेश जी आपको बहुत मुबारकब…"

दिनेश कुमार replied Oct 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सुकून जीस्त का गुम हो गया न जाने कहाँ तुम इश्तहार निकालो जरा पता ही लगे.... waaaah स…"

दिनेश कुमार replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ सावन रिमझिम आ गया, सड़कें बनतीं ताल। पैदल लोगों का हुआ, बड़ा बुरा है…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
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धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
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