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Ashok Kumar Raktale's Discussions (6,391)

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"वाह ! वाह ! एक सुहागिन स्त्री के मनोभाव को दर्शाता अति सुंदर अतुकांत रचा है आपने सूर…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"कर रहा अट्टहास भानु आज जग में बहा रहा पिघले लावे को रग रग में। समेटे अपनी हंसी में ज…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"वाह ! खूबसूरत गजल है आदरणीय समर कबीर साहब और आपने बताया की हर शेर में एक मुहावरे का…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"आदरणीय निलेश 'नूर' जी सादर, प्रदत्त विषय पर बेहतरीन गजल कही है आपने शेर दर शेर मुबार…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"आदरणीय भाई तस्दीक एहमद खान साहब सादर, यह प्रस्तुति भी आपकी सुंदर हुई है. बहुत अच्छे…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"इंतहा मेरी महब्बत के जुनूँ की देखो वो नज़र चाँद कभी और कभी आए सूरज |......वाह ! बहुत…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"समय से ढलता उगता है तपन हो शीत वर्षा होहमेशा पाठ अनुशासन पढ़ाता है हमें सूरज।८।......…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"यूँ तो जल सागर के सर से भी गुज़र जाता मगर, मेहरबां सूरज ने उस को भाप फ़िर से कर दिया।…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"खल का बल पल - पल बढ़े , चढ़े निशा का जोर .स्याह सौर पसरी धरा , चाँदी काटे चोर .रोग शोक…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"आदरणीय डॉ. छोटेलाल सिंह जी सादर, प्रदत्त विषय पर सुंदर चौपाइयाँ रची हैं आपने. बहुत-ब…"

Ashok Kumar Raktale replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

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दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
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Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
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