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munish tanha's Discussions (683)

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"जब परिंदों को हवा का साथ मिलना तय हुआ   तब यक़ीं दिल को हुआ उनको खबर होने को है वाह स…"

munish tanha replied Jan 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-79

652 Jan 28, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय समर साहिब कमालसुंदर रचना के लिए बधाईहो गई अपनी ग़ज़ल,अब देखना ये है "समर"अह्ल-ए…"

munish tanha replied Jan 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-79

652 Jan 28, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ग़ज़ल2122-2122-2122-212रात काली बीतने वाली सहर होने को हैबीज बोया था कभी जो वो शज़र होन…"

munish tanha replied Jan 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-79

652 Jan 28, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ग़ज़लहक मिलेगा किस तरह अब किसान कोलूटते हैं हर जगह जब किसान को देख भाषण ही मिले और कु…"

munish tanha replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मर-मिटने, जल जाने को इक होड़ सी रहती थी शब भर जाने क्यों वो महफ़िल, वो पागल परवाने याद…"

munish tanha replied Dec 24, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

563 Dec 24, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"दो चिड़ियों को शाख़ के ऊपर हम ने जब मिलते देखा तुम याद आए और तुम्हारे साथ ज़माने याद आऐ…"

munish tanha replied Dec 24, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

563 Dec 24, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सावन के अंधे रहकर ही सारी उम्र गुजारी है आज चमन से धोखा खाया तब वीराने याद आये बधाई…"

munish tanha replied Dec 24, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

563 Dec 24, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मंदिर में ईश्वर के सम्मुख हर दीपक की ज्वाला में आहुतियों सा स्वाहा होते वो परवाने या…"

munish tanha replied Dec 24, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

563 Dec 24, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ईमान यहाँ तैयार रहा कुछ टुकड़ों में बिकने को देकर दुनिया दीन खरीदे वे नज़राने याद आए ब…"

munish tanha replied Dec 24, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

563 Dec 24, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"चलते-चलते धूल उड़ाना खुद पर मेरा चिल्लाना सूनी राहें मीलों तक पसरे वीराने याद आए शकू…"

munish tanha replied Dec 24, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

563 Dec 24, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
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"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
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