For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ashok Kumar Raktale's Discussions (6,391)

Discussions Replied To (3547) Replies Latest Activity

"आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब, प्रस्तुति को सराहने के लिए आपका दिल से शुक्रिया. सादर."

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सादर नमन साहब. "

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आओ बैठें छाँव तले हम थोड़ा जी लें छाँव तले हम।1....वाह ! आदरणीय मनन कुमार सिंह जी सा…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"धूप और धूप ही तो हर तरफ पसर गयी । छाँव तो बदल ली ठाँव जाने किससे डर गयी ।........वाह…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"दिलों में दरार जब पड़ गई आँगन में दीवार भी उठ गई मगर बरगद की छाँव रोज़ जाती है इस पार…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक भाव लिए दोनों…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, दोनों ही क्षणिकाएं बदलते वक्त की बुराइयों को खूब इंगि…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"(4) भीषण गरमी में गुल मोहर की छाँव होती है सहारा भीतर की बेचैनी और बाहर के ताप को शा…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"तस्दीक़ सुना है लोगों से वो आशिक़ क़िस्मत वाला है हासिल है जिसे इस दुनिया में दिलबर…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जाने क्या खाकर सूरज आता है अब छाया में भी तन झुलसाता है   कम पड़ती है अब छाया बरगद की…"

Ashok Kumar Raktale replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service