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"आदरणीय भाई पंकज कुमार मिश्र जी सादर, प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति के लिए दिल से आभार.स…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सादर, प्रस्तुत गजल पर उत्साहवर्धन के लिए आपका दिल से शु…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"नीला है आसमान जमीं सब्ज सार है   दुनिया के रंग हैं उसी के पैरहन तमाम..........वाह !…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय पंकज कुमार मिश्र जी सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है आपने. बहुत-बहुत बधाई स्वीका…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब सादर, खूब अशआर निकाले हैं. गिरह भी खूब लगायी है. भरपूर द…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जो देश हित में झोंक दे अपने को नौजवाँ,अर्पण उन्हें मैं नित करूँ मेरे 'नमन' तमाम।....…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"उसने दवा ख़रीद ली ग़ज़लों को बेच करफ़नकार हों गरीब तो बिकते हैं फ़न तमाम.......वाह ! ब…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"मुरझा गए हरे सभी उनके चमन तमाम अब काढ के खड़े हैं सभी सर्प फन तमाम   ढोलक पे थाप भी न…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जम्हूरियत के मायने कितने बदल गए आवाज़ को कुचलती रही अंजुमन तमाम.........वाह ! खूब कहा…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"सीने पे उसने प्यार से जब हाथ रख दिया काफ़ूर बन के उड़ गये रंज-ओ-मिहन तमाम........वाह !…"

Ashok Kumar Raktale replied Nov 25, 2016 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

320 Nov 27, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
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