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"मेरे इस जबाब से आपका दुखी होना मेरे लिये भी दुख का कारण बना है। जाने कैसे इतना कह गई…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"अच्छा लगता है आपका बेबाक होकर प्रतिक्रिया देना आदरणीय रवि जी।सच कहूँ तो करीब पंद्रह…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"नहीं,आदरणीय समर कबीर जी,आपको इसको समझाना पड़ेगा क्योंकि हम इसको समझने में अक्षम हैं।…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"आदरणीय समर कबीर जी, रचना पर उपस्थिती के लिये हृदय से आभार प्रकट करती हूँ। रचना पर शि…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"ओह! ऐसा है क्या? अब तो ठीक भी नहीं कर सकती हूँ। संकलन में कोशिश करूँगी। अभिनंदन आपको…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"ओह,सर जी, //" मेरे लिये चें चें पें पें ही है। //------- पति का संवाद है। जिसे सुनकर…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"हकीकत को आईना दिखाती एक बेहतरीन लघुकथा है यह। सम्प्रेषणीयता तो कथा की देखते ही बनती…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"आपकी लघुकथा हमेशा नये आयामों को संदर्भित करती हुई एक अलायदा तेवर में कथ्य को उद्देश्…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"आदरणीय त्रैलोक्य रंजन जी, बेहतरीन लघुकथा पेश किया है आपने।संस्कार को जिस तरह से कथ्य…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"लोन प्रवृत्ति पर संचेतना जगाती बहुत ही बढ़िया कथ्य उभरकर आया है आपकी लघुकथा में आदरण…"

kanta roy replied Sep 29, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-18 (विषय: पर्दे के पीछे)

612 Sep 30, 2016
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

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"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
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10 hours ago

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"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
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Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
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