ना ही भारत, ना ही इंडिया,
यह ना ही हिंदुस्तान है.
अहले-आलम की तहजीबों का,
यह पाक-मुक़द्दस स्थान है.
उड़ें परिंदे, नील गगन में,
दरिया बहे रवानी से.
लोहा लेंगे तेरी ख़ातिर,
हर आफ़त तूफ़ानी से.
खौफ़ज़दा इस दुनिया में
मोहक बंसी की तान है.
अहले-आलम की तहजीबों का,
यह पाक-मुक़द्दस स्थान है.
ना ही भारत, ना ही इंडिया,
यह ना ही हिंदुस्तान है.
सागर पैर पखारे, निगहबाँ-
जिसका उच्च हिमाला हो.
बाल ना बांका कर सकेगा-कोई,
जब रखवाला, ऊपरवाला हो.
आनेवाले समय से कहदो,
यह दुनिया की शान है.
अहले-आलम की तहजीबों का,
यह पाक-मुक़द्दस स्थान है.
ना ही भारत, ना ही इंडिया,
यह ना ही हिंदुस्तान है.
तेरा चेहरा नूरानी हो,
उड़े ध्वजा, आसमान में.
ऐरों-गैरों पर नहीं तवज्जो.
अव्वल रहे जहान में.
मेरी, उसकी, सबकी आँखों का
मान भरा सम्मान है.
अहले-आलम की तहजीबों का,
यह पाक-मुक़द्दस स्थान है.
ना ही भारत, ना ही इंडिया,
यह ना ही हिंदुस्तान है.
यह मेरा भारत, मेरा इंडिया,
यह मेरा हिंदुस्तान है.
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुधेन्दु ओझा
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