ये वतन हमारा है,
आंखों का तारा है.
आहुतियों से लाखों
इसे हमने संवारा है.
काश्मीर अपना,
ज़न्नत पर भारी है,
किरणों पर सूरज की,
अरुणाचल की सवारी है.
हे देव भूमि तुमको,
नमन हमारा है.....
आहुतियों से लाखों
इसे हमने संवारा है.
ये वतन हमारा है,
आंखों का तारा है.
पंचधाराओं से,
पृथ्वी आह्लादित है
हरि, आने से,
जन-जन उत्साहित है.
राणाओं की माटी में
नव-सृजन हमारा है.....
ये वतन हमारा है,
आंखों का तारा है.
आहुतियों से लाखों
इसे हमने संवारा है.
मालव, मरहट्टों की
अद्भुत ही करनी है,
सिन्धुवक्ष तक विस्त्रित
यह भारत जननी है.
भाँति-भाँति फूलों का,
यह चमन हमारा है.....
ये वतन हमारा है,
आंखों का तारा है.
आहुतियों से लाखों
इसे हमने संवारा है.
पटना-प्रयाग, काशी,
कन्नड़-तमिल, मलय भाषी.
असम-त्रिपुर, नागा,
सिक्किम, बंग वासी.
हर जन के उद्भव का,
यह भुवन हमारा है....
ये वतन हमारा है,
आंखों का तारा है.
आहुतियों से लाखों
इसे हमने संवारा है.
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुधेन्दु ओझा
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