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......नव वर्ष.....

नव वर्ष की पूर्व सन्ध्या की पार्टी में जाने के लिए, पलाश ने, सुबह से ही अपने पिता के पीछे भुन भुन शुरू कर दी थी, "पापा, चलिए न प्लीज़। मेरे सारे दोस्त हर साल पार्टी मनाते हैं। एक हम ही हैं जो कहीं नही जाते।"
"लेकिन बेटा...." मीनू कुछ कहने जा ही रही थी कि पति ने उसे टोकते हुए कहा,
"कोई बात नही मीनू।" फिर समझाते से बोले, "हमारे समय की बात और थी। ये आज की पीढ़ी है और वैसे भी, इतने साल इसने इस बात की जिद नही की, यही बहुत बड़ी बात है।"
फिर पलाश से बोले, "शाम को तैयार रहना। मैं पार्टी के 3 एंट्री टिकट ले आऊंगा।"
पापा की बात सुन, पलाश खुशी से मीनू की बाहों में झूल गया, "देखा माँ, पापा कितने अच्छे हैं।"
"हाँ, वो तो हैं लेकिन मैं सोच रही थी कि क्यों न ...."
"ठीक है माँ, हम पहले वहाँ हो आते हैं। उसके बाद ही पार्टी मनाएँगे।"
इस तरह पलाश को, बीच में ही बात काटते देख, मीनू को हंसी आ गई। बोली, "....कहाँ हो आते हैं?"
"मुझे पता है माँ। आप और पापा, हर अच्छा काम शुरू करने से पहले, अनाथ बच्चों को तोहफे देने जाते हैं। और फिर माँ, कल तो नया साल शुरू होने वाला है, तो उन बच्चों को तोहफे देना तो बनता है।"
मीनू ने पलाश को गले से लगा लिया। आज उसका मन निश्चिंत था कि उनका बेटा उनकी इस रीत को आगे भी निभाता रहेगा।

अनघा जोगलेकर
(मौलिक एवं प्रकाशित)

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बहुत सुंदर बाल-लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद आदरणीया अनघा जोगलेकर जी। पलाश द्वारा अपनी बाल-जागरूकता, समझ और प्रत्युत्पन्नमति के साथ माता-पिता को यूं ख़ुशी और संतोष प्रदान करना बहुत ही प्रेरक है। बहुत बढ़िया सकारात्मक रचना।

- शेख़ शहज़ाद उस्मानी

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