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सतयुग का 'स्वर्ग लोक', त्रेता युग की 'लंका', द्वापर की 'द्वारिका' और कलयुग के 'हस्तिनापुर' आदि के रचयिता विश्वकर्मा सृष्टि के प्रथम सूत्रधार, शिल्पकार और विश्व के पहले तकनीकी ग्रन्थ के रचयिता भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं की रक्षा के लिये अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया। विष्णु को चक्र, शिव को त्रिशूल, इंद्र को वज्र, हनुमान को गदा और कुबेर को पुष्पक विमान विश्वकर्मा ने ही प्रदान किये थे। सीता स्वयंवर में जिस धनुष को श्रीराम ने तोड़ा था, वह भी विश्वकर्मा के हाथों बना था। जिस रथ पर निर्भर रह कर श्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन संसार को भस्म करने की शक्ति रखते थे उसके निर्माता विश्वकर्मा ही थे। पार्वती के विवाह के लिए जो मण्डप और वेदी बनाई गई थी,वह भी विश्वकर्मा ने ही तैयार की थी। विश्वकर्मा शिल्पशास्त्र के आविष्कारक और सर्वश्रेठ ज्ञाता माने जाते हैं जिन्होनें देवताओं के सम्पूर्ण विमानों की रचना की और जिनके द्वारा आविष्कार कर शिल्पविद्याओं के आश्रय से सहस्रों शिल्पी मनुष्य अपने जीवन निर्वाह करता है।

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Replies to This Discussion

बहुत बढ़िया लेख संतोष जी , सब मिलाकर यदि यह कहा जाय कि दुनिया के प्रथम अभियंता भगवान विश्वकर्मा ही थे तो गलत न होगा | आप को बधाई इस सार्थक लेख हेतु |

बहुत सुन्दर जानकारी सांझा करता हुआ आलेख . हार्दिक आभार.

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