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चला चला रे सजनवा
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर
ओहरे हमरे माई का घरवा
संगी साथी और बजरवा
सास ससुर ननद देवरवा
भाई भतीजा मिल करें शोर
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर
एइसल चंदा ओहरो निकलेला
तारन संग संग छटा बिखरेला
प्रेमी चकोर ताके तहिला
जहिले हो न जाये भोर
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर
हमरे देसवा की छटा सतरंगी
तिरंगा रंग हरा सफ़ेद औ नारंगी
हिन्दू मुस्लिम सिख बसेला फिरंगी
मिल मनावें त्यौहार मनवा भाव विहोर
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर
एक ऋतु आये एक ऋतु जाये
वसंत ऋतु सजन मदन मन छाये
सावन मां अमराई पड़ेला झुलवा
झम झम बरसे काली घटा घनघोर
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर
देसवा की मोहे याद सतावत
माटी की सोंधी गंध बुलावत
ऊषा किरणे धरती सजावत
बड़ी प्यारी वहां की भोर
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर
जब से संग तोहरे येवंहा आयेला
चैन की नींद कभी न सोयेला
सपनन माँ आपन देस बसेला
जेहिकर आदि अंत न छोर
चला चला रे सजनवा
अपने देसवा की ओर

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