For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आंचलिक साहित्य Discussions (18)

← Back to आंचलिक साहित्य
Discussions Replies Latest Activity

અતીત અને વર્તમાન (લઘુકથા)

"અરે વીરુ ! આ બેન આવ્યા છે, આમનું પેકેટ પેલાં કબાટ માં રાખેલ છે, જરા કાઢીને લયી આઓ." શેઠજી બોલ્યા."જી શેઠજી! " વીરુ આટલું કહીને શેઠજીએ બતાવ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Jun 12, 2018

વિચારોં ની કૈદ

"આહ ! આ શું થઇ રહ્યું છે મને , આવી તો ના હતી હૂં કદી પણ , હે ભગવાન , આ મને શું થયું છે ? " અકળાયેલા મન થી સૌમ્યા સોફા પર બેસી ગયી . ઉપર જોય…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Oct 11, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

આગંતુક (કથા )

ઘરે મહેમાન ઘણાં હતા , એ વચ્ચે એક આગંતુક આવ્યો એને જોઈને બા એક્દુમ આશ્ચર્યચકિત થયા . બંને ની આંખો મળી , પણ બને ખામોશ રહ્યા . સોનાલી ના પપ્પા…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Aug 29, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

ઓળખાણ

ફેસબુક પર ઘણાં વખત થી વાત ચિત થતી . આ વાતચિત પ્રેમ માં ક્યારે પરિવર્તિત થયી ખબરજ ના પડી . ચોવીસ વરસ ની સુધા અને ત્રીસ વરસ નો અમ્રિત . હા આજ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Nov 16, 2016

ચર્ચા ( કથા )

" શાળા માં એક ચર્ચા સાંભળી ! " લલિતા એ પૂછયું બધી બેનપણીઓ ના કાન ઉભા થઇ ગયા . એક એ પૂછ્યું શું થયું ? શાની ચર્ચા !લલિતાએ બધાની ઉત્સુકતા જોઈ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

2 Oct 5, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

રમકડું

માં મારું રમકડું ક્યાં ગયું મારી જોડેજ તો રહેતું હતું કૌણ જાણે હવે ક્યાં ગયું માં, પપ્પા લઈને આવ્યા હતા ગયા વર્ષે જયારે હું પાસ થયો હતો ખોળ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Sep 26, 2016
Reply by Madanlal Shrimali

हरियाणवी साहित्य -मस्त हरियाणा के छोरे

काले हों या गोरे मस्त हरियाणा के छोरे। छोरे अल्हड मस्त जवान खाएं खीर और पकवान दूध दही लस्सी राबडी पिएं भर भर कटोरे मस्त हरियाणा के छोरे।…

Started by सुरेश कुमार 'कल्याण'

0 Apr 15, 2016

मस्त हरियाणा के छोरे

काले हों या गोरे मस्त हरियाणा के छोरे। छोरे अल्हड मस्त जवान खाएं खीर और पकवान दूध दही लस्सी राबडी पिएं भर भर कटोरे मस्त हरियाणा के छोरे।…

Started by सुरेश कुमार 'कल्याण'

0 Apr 15, 2016

पारंपरिक गीत के संदेश (चौपाई)

अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका लउहा लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा तुहुुर तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावयस…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 Jul 14, 2015

छत्तीसगढ के जुन्ना खेल

गिल्ली डंडा खेलबो, चल संगी दइहान ।गोला घेरा खिच के, पादी लेबो तान ।पादी लेबो तान, खेलबो सबो थकत ले ।देबोे संगी दांव, फेर तो हमन सकत ले ।।।…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 Jul 13, 2015

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
9 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service