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आंचलिक साहित्य Discussions (18)

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અતીત અને વર્તમાન (લઘુકથા)

"અરે વીરુ ! આ બેન આવ્યા છે, આમનું પેકેટ પેલાં કબાટ માં રાખેલ છે, જરા કાઢીને લયી આઓ." શેઠજી બોલ્યા."જી શેઠજી! " વીરુ આટલું કહીને શેઠજીએ બતાવ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Jun 12, 2018

વિચારોં ની કૈદ

"આહ ! આ શું થઇ રહ્યું છે મને , આવી તો ના હતી હૂં કદી પણ , હે ભગવાન , આ મને શું થયું છે ? " અકળાયેલા મન થી સૌમ્યા સોફા પર બેસી ગયી . ઉપર જોય…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Oct 11, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

આગંતુક (કથા )

ઘરે મહેમાન ઘણાં હતા , એ વચ્ચે એક આગંતુક આવ્યો એને જોઈને બા એક્દુમ આશ્ચર્યચકિત થયા . બંને ની આંખો મળી , પણ બને ખામોશ રહ્યા . સોનાલી ના પપ્પા…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Aug 29, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

ઓળખાણ

ફેસબુક પર ઘણાં વખત થી વાત ચિત થતી . આ વાતચિત પ્રેમ માં ક્યારે પરિવર્તિત થયી ખબરજ ના પડી . ચોવીસ વરસ ની સુધા અને ત્રીસ વરસ નો અમ્રિત . હા આજ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Nov 16, 2016

ચર્ચા ( કથા )

" શાળા માં એક ચર્ચા સાંભળી ! " લલિતા એ પૂછયું બધી બેનપણીઓ ના કાન ઉભા થઇ ગયા . એક એ પૂછ્યું શું થયું ? શાની ચર્ચા !લલિતાએ બધાની ઉત્સુકતા જોઈ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

2 Oct 5, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

રમકડું

માં મારું રમકડું ક્યાં ગયું મારી જોડેજ તો રહેતું હતું કૌણ જાણે હવે ક્યાં ગયું માં, પપ્પા લઈને આવ્યા હતા ગયા વર્ષે જયારે હું પાસ થયો હતો ખોળ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Sep 26, 2016
Reply by Madanlal Shrimali

हरियाणवी साहित्य -मस्त हरियाणा के छोरे

काले हों या गोरे मस्त हरियाणा के छोरे। छोरे अल्हड मस्त जवान खाएं खीर और पकवान दूध दही लस्सी राबडी पिएं भर भर कटोरे मस्त हरियाणा के छोरे।…

Started by सुरेश कुमार 'कल्याण'

0 Apr 15, 2016

मस्त हरियाणा के छोरे

काले हों या गोरे मस्त हरियाणा के छोरे। छोरे अल्हड मस्त जवान खाएं खीर और पकवान दूध दही लस्सी राबडी पिएं भर भर कटोरे मस्त हरियाणा के छोरे।…

Started by सुरेश कुमार 'कल्याण'

0 Apr 15, 2016

पारंपरिक गीत के संदेश (चौपाई)

अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका लउहा लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा तुहुुर तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावयस…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 Jul 14, 2015

छत्तीसगढ के जुन्ना खेल

गिल्ली डंडा खेलबो, चल संगी दइहान ।गोला घेरा खिच के, पादी लेबो तान ।पादी लेबो तान, खेलबो सबो थकत ले ।देबोे संगी दांव, फेर तो हमन सकत ले ।।।…

Started by रमेश कुमार चौहान

0 Jul 13, 2015

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
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