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માં મારું રમકડું ક્યાં ગયું

મારી જોડેજ તો રહેતું હતું

કૌણ જાણે હવે ક્યાં ગયું

માં, પપ્પા લઈને આવ્યા હતા

ગયા વર્ષે જયારે હું પાસ થયો હતો

ખોળા માં બેસાડી ને પપ્પા રમાડતા

માં, મારું રમકડું ક્યાં ગયું ?

આ ટી.. વી નો ઘોંઘાટ હવે ગમતો નથી

આ કમ્પ્યુટર થી આંખોં દુખે છે

માં , પાછું લાવી દ્યો ને રમકડું મારું

દોસ્તારો સાથે રમવાની મજાજ જુદી

ખુબ એકેલવાયું લાગે છે હવે

બધે પોત પોતાના દાયરા માં ખોવાઈ ગયા ,

કોઈ ને કોઈ ઓળખતું નથી

નથી કોઈ ને કોઈ ની પરવાહ

માં મને મારું રમકડું લાવી દ્યો

મારું બાળપણ મને આપી દ્યો .

મૌલિક એવમ અપ્રકાશિત

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Replies to This Discussion

રચના સારી છે. ભાવ પણ સારા છે.
'દાયરા" શબ્દ ઉર્દુ છે.

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