"कइसन कइसन नउटंकी करेलीसन"
असपताल मां दरद के मारे कँहरत आ छटपटात उछलत मेहरारू के देखि बोली बोलली भउजी।
"जवना के नउटंकी कहतारू नू ईहो भागिये से भेंटाला। भोगले रहितू तब नू बुझाइत।"
कँखवे तर खाड़ भइया काने मे फुसफुसइलन।
भउजी कबो भइया के आ कबो गोद लिहहल बेटा के निहारे लगली।
प्रमोद श्रीवास्तव - -
मौलिक और अप्रकाशित
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बहुत बढ़िया कहानी , हार्दिक बधाई आपको |
रउआ के आभार ई परसंसा क खातिर आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।
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