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Like all,

I went to school;

But I’ve nothing left.

I’ve remained not greater than a fool.

The Latin grammar and annual Brazilian rainfall—

All have I memorized;

But now-nothing remains on this earth;

To show others-that could I have seized.

Over the past days,

I was thinking about the mistakes that I made;

Being unaware of the reason;

For all my dreams had fade.

Bit by bit—

Things revealed to me—

Now I could realize that the school

Was the main reason behind it.

School only teaches how to become a good servant;

With students being unaware how to earn money;

Still an increasing number are sent;

Being all this absolutely funny.

People learn through loses, through mistakes;

But punishments are given in school;

To those who commit mistakes—

This is absolutely not so cool.

Most of people, going to school;

Would be remembered;

For a decade or two,

All this, they have deserved.

Most of the “good students”;

Would be remembered;

Only because they were good persons,

But, this won’t be desired.

Perhaps, that’s the main reason;

Why people are rich or poor;

Going to school, and then, lifetime, a servant!

That’s the main fusion.

Now things would be better

And more cool—

‘Cause I’ve understood;

The greatest mistake of my life- school.

Composed by—

Shivam Jha

 

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"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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