For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या लोकतांत्रिक सरकार की यही कार्यशैली है ?

महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है।

जिस प्रकार से बीएमसी ने अवैध बताते हुए नोटिस देने के 24 घंटो के भीतर ही एक अभिनेत्री के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया और अपने इस कारनामे के लिए कोर्ट में मुंह की भी खाई उससे राज्य सरकार के लिए भी एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बचने के लिए भले ही शिवसेना कहे कि यह बीएमसी का कार्यक्षेत्र है और सरकार का उससे कोई लेना देना नहीं है लेकिन उस दफ्तर को तोड़ने की टाइमिंग इस बयान में फिट नहीं बैठ रही। क्योंकि बीएमसी द्वारा इस कृत्य को ऐसे समय में अंजाम दिया गया है जब कुछ समय से उस अभिनेत्री और शिवसेना के एक नेता के बीच जुबानी जंग चल रही थी। लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पूरी मुंबई अवैध निर्माण अतिक्रमण और जर्जर इमारतों से त्रस्त है। अतिक्रमण की बात करें तो चाहे मुंबई के फुटपाथ हों चाहे पार्क कहाँ अतिक्रमण नहीं है? और जर्जर इमारतों की बात करें तो अभी लगभग दो महीने पहले ही मुंबई में दो जर्जर इमारतों के गिरने से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और कितने ही घायल हो गए। बरसात के मौसम में मुंबई का डूबना तो अब खबर भी नहीं बनती लोग इसके आदि हो चुके हैं। फिर भी कोरोना काल और मानसून के इस मौसम में एक विशेष बिल्डिंग के निर्माण में कानून के पालन को निश्चित करने में बीएमसी की तत्परता ने पूरे देश को आकर्षित कर दिया।

दरअसल यहाँ बात एक अभिनेत्री की नहीं बल्कि बात इस देश के किसी भी नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की है। बात किसी तथाकथित अवैध निर्माण को गिरा देने की नहीं है बल्कि बात तो सरकार की अपने देशवासियों के प्रति दायित्वों की है।

हमारे यहाँ कहा जाता है, प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां तु हिते हितं।" अर्थात प्रजा के सुख में राजा का सुख है प्रजा के हित में राजा का हित है।

भारत एक ऐसा देश है जो सदियों ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा और  जिसकी पीढ़ियों ने इस आज़ादी के लिए संघर्ष किया। आज जब  उस आज़ाद देश में  एक ऐसा अपराधी जो मोस्ट वांटेड है उसकी प्रॉपर्टी सीना ताने खड़ी रहती है लेकिन एक टैक्सपेयर की बिल्डिंग तोड़ दी जाती है। जब कोर्ट द्वारा उस अपराधी की 80 साल पुरानी जर्जर एवं अवैध बिल्डिंग को नेस्तनाबूद करने के एक साल पुराने आदेश के बावजूद मानसून का हवाला देकर उसे हाथ तक नहीं लगाया जाता। जब  30 सितंबर तक कोरोना के चलते किसी भी तोड़ फोड़ पर  सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाई जाने के बावजूद एक महिला की बिल्डिंग पर बुलडोजर चला दिया जाता है। जब सरकार विरोधी रिपोर्टिंग करने के कारण कुछ पत्रकारों को जेल में डाल दिया जाता है।जब सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी कुछ सामग्री पोस्ट करने के कारण किसी दल विशेष के कार्यकर्ता एक पुर्व नौसेना अधिकारी पर हिंसक आक्रमण करते हैं। तो एक आम आदमी की नज़र में अभिव्यक्ति की आज़ादी, लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान के प्रति आस्था, न्यायालय के आदेशों का सम्मान जैसे शब्दों की नींव ही हिल जाती है। आज जब उस देश में एक महिला के लिए सत्तारूढ़ दल के एक नेता द्वारा  आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता है तो जिन महिला अधिकारों महिला सशक्तिकरण महिला अस्मिता जैसे शब्दों का प्रयोग तथाकथित लिबरलस द्वारा किया जाता है उन शब्दों का खोखलापन उभर कर सामने जाता है।

राजनैतिक दृष्टि से भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे यह कदम अपरिपक्वता ही दर्शाते हैं। क्योंकि कंगना को भी पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता। जिस प्रकार की भाषा और जिन तेवरों का प्रयोग वो महाराष्ट्र और वहाँ की सरकार के लिए लगातार कर रही थीं वो निश्चित ही अपमानजनक थे। हो सकता है वो जानबूझकर किसी मकसद से ऐसा कर रही हों। लेकिन सत्ता में रहते हुए गुंडागर्दी करना किसी भी परिस्थिति में जायज नहीं ठहराए जा सकते।महाराष्ट्र सरकार की गलती यही रही कि वो कंगना की चाल में फंस गई और कंगना ने पब्लिक की सहानुभूति हासिल कर ली। जबकि महाराष्ट्र सरकार अगर राजनैतिक दूरदृष्टि और समझ रखती तो कंगना की इस राजनीति का जवाब राजनीति से देती अपशब्दों और हिंसा से नहीं इस प्रकार की हरकतों से शिवसेना ने अपना कितना नुकसान किया है उसे शायद अंदाज़ा भी नहीं है। कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना, सुशांत केस में महाराष्ट्र पुलिस की कार्यशैली, और अब कंगना के बयानों पर हिंसक प्रतिक्रिया।

कहते हैं लोकतंत्र में जनभावनाओं को समझना ही जीत की कुंजी होती है लेकिन शिवसेना लगातार अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है। 1966 में बनी एक पार्टी जिसकी पहचान आजतक केवल एक क्षेत्रीय दल के रूप में है। वो पार्टी जो अपने ही गढ़ महाराष्ट्र में भी एक अल्पमत की सरकार चला रही है। ऐसी पार्टी जो आजतक महाराष्ट्र से बाहर अपनी जमीन नहीं खड़ी कर पाई। एक ऐसी पार्टी जिसकी लोकसभा में उपस्थित मात्र 3.3% है, अपनी इन हरकतों से कहीं महाराष्ट्र में भी अपनी बची कुची जमीन ना गंवा बैठे।

डॉ नीलम महेंद्र

(लेखिका वरिष्ठ स्तंभकार हैं।)

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 493

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service